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हेलीकॉप्टर संकट से जूझ रहीं सेनाएं, ध्रुव की उड़ान पर रोक

इन दिनों भारतीय सेनाओं को हेलीकॉप्टर संकट से जूझना पड़ रहा है। चीता और चेतक हेलीकॉप्टरों में उच्च दुर्घटना दर का सेनाएं पहले से ही सामना कर रही हैं। अब लगभग 330 ध्रुव एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (ALH) के ग्राउंड होने के कारण सेनाओं की तैयारियों पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। इस वजह से सैन्य अभियान व अग्रिम क्षेत्रों में टोही मिशन प्रभावित हुए हैं।

किसके पास कितने हेलीकॉप्टर?

एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर का सबसे बड़ा बेड़ा थलसेना के पास है। अभी सेना के पास 180 से अधिक एएलएच हेलीकॉप्टर हैं। इनमें से 60 हथियारबंद रुद्र हेलीकॉप्टर हैं। युसेना के पास 75, नौसेना के पास 24 और तटरक्षक बलों के पास 19 ऐसे हेलीकॉप्टर हैं।

इन हेलीकॉप्टरों का निर्माण हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स (HAL) ने किया है। पहली बार साल 2002 में इन्हें सेना में शामिल किया गया था।

सैन्य अभियानों में आ रही दिक्कत

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक चीन और पाकिस्तान सीमा पर सशस्त्र बल खोज, विजिलेंस, टोही मिशन और बचाव अभियान के लिए इन हेलीकॉप्टरों पर काफी निर्भर हैं। मगर पिछले तीन महीने से इन अभियानों में भारी रुकावट देखने को मिल रही है।इसका असर एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर के पायलटों पर पड़ रहा है। उन्हें अब केवल सिमुलेटर पर अभ्यास करना पड़ रहा है।

गुजरात की घटना बनी वजह

इसी साल 5 जनवरी को गुजरात के पोरबंदर में तटरक्षक बल का एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना का शिकार हुआ था। इस हादसे में दो पायलटों और एक एयरक्रू डाइवर की जान चली गई थी। इसके बाद सभी ध्रुव एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टरों को ग्राउंड कर दिया गया था।शुरुआती जांच में जानकारी मिली कि हादसा हेलीकॉप्टर में ‘स्वैशप्लेट फ्रैक्चर’ के कारण हुआ है। अधिकारियों का कहना है कि अन्य एएलएच में भी ऐसी ही समस्या देखने को मिल सकती है। इस वजह से इन्हें ग्राउंड किया गया है।उधर, जांच में एचएएल भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलुरु की मदद भी ले रहा है। उम्मीद है कि अप्रैल के अंत तक संस्थान अपनी रिपोर्ट सौंप देगा।

सिविल हेलीकॉप्टर इस्तेमाल कर रही सेना

सेना हेलीकॉप्टर की कमी से जूझ रही है। इस बीच एक अधिकारी ने कहा कि उम्मीद की किरण यह है कि सेना ने उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर ऊंचाई वाले चौकियों पर सैनिकों के परिवहन और रसद की आपूर्ति में कुछ सिविल हेलिकॉप्टरों का इस्तेमाल कर रही है।

अधिकारी ने आगे कहा कि सेना के उत्तरी और मध्य कमान ने पिछले नवंबर में सिविल हेलिकॉप्टरों का इस्तेमाल शुरू किया। अगर ऐसा नहीं किया गया जाता तो अग्रिम मोर्चे पर तैनात सैनिकों तक आपूर्ति पहुंचाना बेहद मुश्किल हो जाता।