इंदौर में बन रहे प्रदेश के पहले डबल डेकर ब्रिज का काम तेज गति से चल रहा है। ब्रिज के मध्य हिस्से की गर्डर अब मेट्रो ट्रेन के उपर से लांच करने की तैयारी की जा रही है।इसके लिए चौराह के ट्रैफिक को कुछ दिनों के लिए डायवर्ट किया जा सकता है। ब्रिज का काम सालभर में पूरा हो जाएगा। सुपर काॅरिडोर की तरफ का ब्रिज तीन माह पहले ही बनकर तैयार हो चुका है औरयातायात के लिए भी उसे खोल दिया गया है।
स्टील गर्डर का उपयोग
ब्रिज के निर्माण में स्टील गर्डर का उपयोग किया जा रहा है। ब्रिज के पहले तक गर्डर बिछाई जा चुकी है। गर्डर रखने के लिए विशेष प्रकार कर क्रेनों की मदद ली जा रही है, क्योकि ब्रिज की ऊंचाई ज्यादा है। जमीन से यह ब्रिज अधिकतम 70 फीट ऊंचा है,जबकि इसकी लंबाई एक किलोमीटर है।
ब्रिज जहां पर जाकर खत्म होगा, वहां से छह लेन सड़क बनाई जाएगी। ब्रिज के निर्माण पर सरकार डेढ़ सौ करोड़ रुपये खर्च कर रही है। नियमों के हिसाब से मेट्रो ट्रेन से 20 फीट उपर ही किसी स्ट्रक्चर का निर्माण हो सकता है। इस कारण ब्रिज की ऊंचाई ज्यादा हो गई है।
एक लाख से ज्यादा वाहन गुजरेंगे ब्रिज से
यह ब्रिज इंदौर के लवकुश चौराहे पर इंदौर विकास प्राधिकरण बनवा रहा है। इस चौराहे पर बने डबल डेकर ब्रिज से एक लाख से ज्यादा वाहन गुजरेंगे। बाणगंगा से उज्जैन की तरफ जाने वाले ट्रैफिक के लिए यह ब्रिज ज्यादा फायदेमंद है। अभी सिग्नल पर पांच से दस मिनट तक यातायात रुका रहता है।
इंदौर विकास प्राधिकरण इस मार्ग पर ट्रैफिक का दबाव कम करने के लिए एमआर-12 रोड भी बना रहा है। जिससे होकर सीधे बाइपास तक वाहन चालक निकल सकेंगे। तीन साल बाद लगने वाले सिंहस्थ मेल के समय यह ब्रिज सबसे ज्यादा उपयोगी होगा,क्योकि तब लाखों वाहन इंदौर से होकर उज्जैन जाएंगे।