रेवरेंड जू योंग-बोंग एक व्यापारी हैं, वे एक ऐसे व्यवसाय के लिए कुत्ते पालते हैं जो अब साउथ कोरिया में अवैध हो गया है। 60 वर्षीय जू ने कहा कि पिछली गर्मियों से हम अपने कुत्तों को बेचने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन व्यापारी कुत्तों को लेने से हिचकिचा रहे हैं।
बता दें, साउथ कोरिया में 2024 में कुत्ते के मांस पर प्रतिबंध लगाने के बाद साल 2027 तक इस काम को पूरी तरह से बंद करने का समय दिया गया है। लेकिन छूट अवधि के आधे समय में ही जू जैसे किसान फंस गए हैं। उनके कुत्ते बिक नहीं रहे हैं और वे जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
कर्ज में डूब रहे किसान
उन्होंने बीबीसी से बताया कि लोग परेशान हैं। उन्होंने कहा, “हम कर्ज मेंडूबे हुए हैं, इसे चुका नहीं सकते। कुछ लोग नया काम ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन काम नहीं मिल रहा है। यह एक निराशाजनक स्थिति है।”
साउथ कोरिया के एक और व्यक्ति 33 वर्षीय चान-वू को भी इसी वास्तविकता का सामना करना पड़ रहा है। उसके पास 600 कुत्ते हैं और इसे बेचने के लिए सिर्फ 18 महीने हैं। अगर वे इसमें असमर्थ होते हैं तो उन्हें दो साल जेल में रहना होगा।
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि अधिकारियों ने बिना किसी वास्तविक योजना के कानून को पारित कर दिया और अब वे कह रहे हैं कि वे कुत्तों को नहीं ले जा सकते हैं।
लोगों में किस बात का है डर?
ह्यूमन वर्ल्ड फॉर एनिमल्स कोरिया (HWAK) के ली सांगक्यूंग भी इस बात से सहमत हैं कि समस्या है। उन्होंने कहा कि कुत्ते के मांस पर प्रतिबंध पारित हो गया है, लेकिन सरकार और नागरिक समूह अभी भी इस बात से जूझ रहे हैं कि बचे हुए कुत्तों को कैसे बचाया जाए।
सरकार का दावा है कि स्थानीय अधिकारी आत्मसमर्पण करने वाले कुत्तों को आश्रय स्थल ले जाएंगे। लेकिन उन्हें फिर से घर देना मुश्किल साबित हो रहा है। फार्मों में मांस के लिए टोसा-इनू जैसी बड़ी नस्लों को पाला जाता है, जिन्हें अक्सर साउथ कोरियाई कानून के तहत खतरनाक करार दिया जाता है।
ज्यादातर शहरवास छोटे पालतू जानवर रखना चाहते हैं। ली कहते हैं कि फार्मों से आने वाले कुत्तों के साथ एक सामाजिक कलंक जुड़ा हुआ है, जो है बीमारी या फिर इंसानों को आघात पहुंचाना।
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