छत्तीसगढ़ में ‘लाल आतंक’ को अब तक का सबसे बड़ा झटका लगा है। बस्तर संभाग में 67 नक्सलियों ने आज 24 जुलाई को हरेली तिहार पर सरेंडर किया। इनमें कांकेर जिले में 13, नारायणपुर जिले में 8, सुकमा में 5, दंतेवाड़ा में 16 और बीजापुर जिले में 25 नक्सलियों ने आज पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया।
बरसात के मौसम में नक्सली संगठन की कमर टूट रही है। बारिश में जवान जंगलों में घुसकर नक्सलियों का मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं। बारिश के बीच रातभर जंगल में रहकर नक्सलियों से मुकाबला कर रहे हैं। इस वजह से नक्सलियों को ये बात पूरी तरह से समझ में आ गई है कि सरेंडर करने में ही भलाई है। इसी का नतीजा रहा कि 24 जुलाई गुरुवार का दिन ‘नक्सली सरेंडर डे’ रहा। एक तरफ राज्य सकार रायपुर में ‘हरेली तिहार’ मना रही थी, तो दूसरी ओर बस्तर संभाग के कांकेर जिले में 13, नारायणपुर जिले में 8, सुकमा में 5, दंतेवाड़ा में 16 और बीजापुर जिले में 25 नक्सलियों ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया। इन पांचों जिलों में कुल 67 नक्सलियों ने लाल आतंक का साथ छोड़ते हुए मुख्यधारा में लौट आये हैं। इन 67 नक्सलियों पर कुल 2 करोड़ 54 लाख रुपये का इनाम घोषित था। ये सभी नक्सली कई बड़े नक्सली वारदात में शामिल थे।
अब पढ़ें नक्सलियों के सरेंडर करने की असली वजह…
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के मार्च 2026 से पहले छत्तीसगढ़ समेत देश को नक्सलमुक्त करने के संकल्प को लेकर राज्य सरकार के मार्गदर्शन में फोर्स बस्तर संभाग के नक्सलियों की मांद में घुसकर उनका मुकाबला कर रही है। उन्हें मौत की नींद सुला रही हैं। इस वजह से भयभीत नक्सली अपनी जान बचान के लिये सरेंडर करने में ही अपनी भलाई समझ रहे हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और राज्य सरकार के गृहमंत्री विजय शर्मा ने कई बार नक्सलियों से मुख्यधारा में लौटन की गुजारिश की थी। जिसका नतीजा भी देखने को मिल रहा है। केंद्रीय गृहमंत्री और राज्य के गृहमंत्री ने कई बार चर्चा में कहा कि नक्सली मुख्यधारा में लौटें या जवानों की गोली का सामना करने के लिये तैयार रहें।
बारिश में नक्सलियों का सुरक्षित ठिकाना था बस्तर का जंगल पर…
छत्तीसगढ़ का बस्तर संभाग चारों तरफ से वनों से घिरा है। प्रकृति ने इस संभाग को काफी खूबसूरती से संवारा है। चारों तरफ हरियाली है। यह संभाग पूरी तरह से प्राकृतिक वातावरण से संपन्न है। यहां पर कई प्राकृतिक गुफायें भी हैं। माना जाता है कि इन गुफाओं में प्राचानी काल में ऋषि-मुनि निवास करते थे। जप-तप करते थे। बाद में इन गुफाओं को नक्सलियों ने अपना सुरक्षित ठिकाना बना लिया। नक्सल ऑपरेशन के दौरान जवानों ने इन गुफाओं से नक्सलियों को बेदखल कर दिया। नक्सली जान बचाकर भाग गये।
‘ऑपरेशन कगार’ में गुफाओं से जान बचाकर भागे नक्सली
फोर्स ने अप्रैल 2025 में बीजापुर जिले के कर्रेगुट्टा की पहाड़ियों में ‘ऑपरेशन कगार’ चलाकर इन गुफाओं से नक्सलियों को खदेड़ दिया। करीब 44 से 45 डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच फोर्स नक्सलियों की मांद में घुसकर किलेबंदी की। कर्रेगुट्टा की पहाड़ियों से लेकर कस्तूरपाड़ तक फोर्स की बैकअप पार्टी मोर्चे पर तैनात रही। ड्रोन लगे हेलीकॉप्टर से नक्सलियों की निगरानी और तलाशी की गई। ऐसे में ड्रोन से मिली तस्वीरें और वीडियो मददगार साबित हुए। उस दौरान चर्चा ये भी रहा कि नक्सलियों के टॉप लीडर्स पांच हजार फीट ऊंची इस पहाड़ी में छिपे हुए थे,जो बाद में जंगल के रास्ते दूसरी ओर निकल गये।
बारिश में भी चला रहा नक्सल ऑपरेशन
आमतौर पर नक्सली बरसात के मौसम में अपने आप को बस्तर संभाग में सुरक्षित मानते थे। क्योंकि बरसात में नक्सली ऑपरेशन न चलने की वजह से नक्सली इन जंगलों में छिपे रहते थे। अपने संगठन का विस्तार करने के साथ ही नक्सली रणनीति बनाते रहते थे, लेकिन इस बार फोर्स बारिश में भी नक्सल ऑपरेशन चला रही है। ऐसे में नक्सली जंगलों में नहीं छिप पा रहे हैं। वहीं साय सरकार ने ये घोषित कर रखी है कि कि जो ग्राम पंचायतें नक्सलीमुक्त होंगी। उनके विकास के लिये एक करोड़ रुपये दिये जाएंगे। इस वजह से नक्सलियों को गांवों में भी शरण नहीं मिल रही है। गांव और जंगल दोनों तरफ से शरण नहीं मिलने पर वो सरेंडर करने में ही समझदारी समझ रहे हैं। दूसरी ओर नक्सलियों का महासचिव बसव राजू, सुधाकर समेत कई बड़े टॉप नक्सली भी पुलिस मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं। ऐसे में नक्सल संगठन लगातार कमजोर होते जा रहा है। तीसरी ओर राज्य की विष्णुदेव सरकार भी बस्तर संभाग में तमाम विकास की योजनायें चला रही है ताकि आदिवासियों के इस पिछड़े संभाग में हर मूलभूत सुविधा पहुंचाई जा सके। विकसित किया जा सके।
अब देखने वाली बात ये होगी कि राज्य सरकार की ये कोशिश कितनी रंग लाती है।