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भारतीय किसानों को झटका देने चला था चीन, लेकिन भारत ने कर दिया चित

भारत के किसानों को झटका देने के लिए चीन ने पिछले दो महीनों से उर्वरकों की आपूर्ति में बाधा डालने का काम किया है। ऐसे में भारत सरकार ने विशेष उर्वरकों (Special Fertilizer Production) के उत्पादन को बढ़ाने के तरीके ढूंढ रही है, जिसका फल, सब्जी और फूलों की खेती के लिए जरूरी हैं। चीन को लग रहा था कि उसके इस कदम से भारत के किसानों को झटका लगेगा। लेकिन वह अपनी इस चाल में कामयाब नहीं हो पाया।

भारत ने हाई क्वालिटी फर्टिलाइजर के उत्पादन को बढ़ाने के दिशा में कदम तेज कर दिए हैं क्रेंद सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि सरकार ने पहले ही सार्वजनिक, सहकारी और निजी क्षेत्र की प्रमुख उर्वरक कंपनियों के साथ शुरुआती बातचीत की है। अधिकारी ने कहा, “हमने सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की कंपनियों से विशेष उर्वरकों की उपलब्धता बढ़ाने को कहा है।”

Special Fertilizer के लिए चीन पर निर्भर भारत
विशेष उर्वरकों में पॉलिमर-कोटेड यूरिया (जो धीरे-धीरे मिट्टी में मिलता है और पौधों को लंबे समय तक उपलब्ध रहता है), चीलेटेड माइक्रोन्यूट्रिएंट्स (जो क्षारीय मिट्टी में प्रभावी हैं), पानी में घुलनशील उर्वरक जैसे मोनोअमोनियम फॉस्फेट और पोटैशियम नाइट्रेट, और स्टेबलाइज्ड नाइट्रोजन उर्वरक (जिनमें यूरियस इनहिबिटर्स होते हैं) जैसे उर्वरक शामिल हैं। इस तरह के उर्वरकों के लिए भारत बहुत हद तक ड्रैगन पर निर्भर है।

एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में आयात होने वाले विशेष उर्वरकों का लगभग 80% हिस्सा चीन से आता है। लेकिन पिछले दो महीनों से चीन की आपूर्ति बाधित है, क्योंकि वहां की सरकार ने बिना प्रतिबंध लगाए विभिन्न तरीकों से भारत को निर्यात रोक दिया है।

इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड (IFFCO) 2011 से पानी में घुलनशील और विशेष उर्वरकों का उत्पादन शुरू किया। कंपनी की मौजूदा प्रोडक्शन क्षमता 15,000 टन प्रति वर्ष है।

भारत ने विकसित की उत्पादन तकनीक
सॉल्युबल फर्टिलाइजर इंडस्ट्री एसोसिएशन के नेशनल प्रेसिडेंट रजिब चक्रवर्ती ने कहा, ” अभी तक तक भारत में दो महत्वपूर्ण पानी में घुलनशील उर्वरकों – मोनोअमोनियम फॉस्फेट (MAP) और कैल्शियम नाइट्रेट के उत्पादन की तकनीक नहीं थी। इस कमी को दूर करने के लिए, इशिता इंटरनेशनल ने भारतीय कच्चे माल पर आधारित एक एकीकृत प्रक्रिया विकसित की है, जो MAP, तरल कैल्शियम मैग्नीशियम, कैल्शियम नाइट्रेट, और अन्य पानी में घुलनशील उर्वरकों का उत्पादन कर सकती है।”

सरकार से मिल रहा कंपनी को समर्थन
इस परियोजना का पायलट प्लांट सरकार के समर्थन से शुरू हो रहा है। इशिता इंटरनेशनल के बिजनेस डेवलपमेंट मैनेजर योगेश चव्हाण ने बताया कि यह स्टार्टअप 10,000 टन MAP और 5,000-7,000 टन अन्य पानी में घुलनशील उर्वरकों की उत्पादन क्षमता रखता है। कंपनी अब वाणिज्यिक उत्पादन बढ़ाने के लिए निवेश की तलाश कर रही है।

सल्फर के लिए भारत की आयात निर्भरता एवरेज से धिक है। कोरोमंडल इंटरनेशनल, दीपक फर्टिलाइजर्स, और नेशनल फर्टिलाइजर्स जैसी कंपनियां सल्फर के लिए मध्य पूर्वी देशों से पिघला हुआ सल्फर आयात करती हैं। उच्च मूल्य वाले माइक्रोन्यूट्रिएंट्स के लिए आयात निर्भरता मध्यम है।

चीन दूसरे देशों के जरिए भारत भेज रहा विशेष उर्वरक
चीन द्वारा विशेष उर्वरकों पर निर्यात प्रतिबंध के बाद, अन्य देशों से कैल्शियम नाइट्रेट की शिपिंग लागत में 50-60 फीसदी का इजाफा हुआ है। चीन कथित तौर पर इन उत्पादों को अन्य देशों में निर्यात कर रहा है और फिर वहां से भारत भेज रहा है।

ऐसे में भारत को इसके लिए अधिक शिपिंग लागत अदा करनी पड़ रही है। हालांकि, अब भारत सरकार चीन की इस चाल को समझ गई है। सरकार ने देश में विशेष प्रकार के उर्वरक के उत्पादन में लगने वाले कच्चे माल की कमी को दूर करने पर काम कर रही है।