सेना ने सिलिगुड़ी कॉरिडोर की सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता करने के लिए तीन नए सैन्य ठिकाने स्थापित किए हैं। सुरक्षा सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक यह ठिकाने बामुनी, किशनगंज और चोपड़ा में बनाई गई हैं। यह सभी स्थान बांग्लादेश सीमा के करीब और सामरिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण सिलिगुड़ी कॉरिडोर के पास स्थित हैं। यह कदम पिछले दिनों पाकिस्तानी जनरल साहिर शमशाद मिर्जा की बांग्लादेश यात्रा के बाद बढ़ी सुरक्षा चिंताओं के बीच उठाया गया है।
मिर्जा ने किया था दौरा, सैन्य सहयोग बढ़ाने पर हुई थी बात
पाकिस्तान की ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमिटी के मुखिया मिर्जा आठ सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ 24 अक्तूबर को बांग्लादेश पहुंचे थे। इस दौरे में उन्होंने बांग्लादेश के सेना प्रमुख वकार-उज़-जमां से मुलाकात की थी और सैन्य सहयोग गहरा करने पर बातचीत की। मिर्ज़ा ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस से भी मुलाकात की थी। यूनुस ने मिर्जा को ‘आर्ट ऑफ ट्रायम्फ’ नाम की एक किताब भेंट की थी, जिसके कवर पेज पर छपे नक्शे में पूर्वोत्तर के हिस्सों को बांग्लादेश का भाग दिखाया गया था। बांग्लादेश के इस कदम के बाद देशभर में असंतोष था।
सिलिगुड़ी कॉरिडोर की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता
देश की मुख्य भूमि को पूर्वोत्तर से जोड़ने वाला संकरा भूभाग सिलिगुड़ी कॉरिडोर कहलाता है। संकरा होने के कारण इसे कई बार चिकन नेक भी कहा जाता है। कुछ स्थानों पर इसकी चौड़ाई केवल 21 किलोमीटर के आसपास है। इसके पड़ोस में नेपाल, बांग्लादेश और भूटान स्थित हैं। सूत्रों ने बताया कि सिलिगुड़ी कॉरिडोर की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता रखती है। यह तीनों नए सैन्य ठिकाने कमजोर हिस्सों की सुरक्षा सुनिश्चित करने से साथ ही ज़रूरत पड़ने पर सशस्त्र बलों को नए रणनीतिक विकल्प भी प्रदान करेंगे। साथ ही पूर्वोत्तर सीमा पर निगरानी और संकट की सूरत में सेना की प्रतिक्रिया क्षमता में बढ़ोतरी करेंगे।
बांग्लादेश लालमोनिरहाट एयरबेस शुरू करने जा रहा
बांग्लादेश सिलिगुड़ी कॉरिडोर से सटे अपने लालमोनिरहाट एयरबेस को फिर से शुरू करने जा रहा है। ब्रिटिश काल में बना यह एयरबेस लंबे समय से वीरान पड़ा था। बांग्लादेश सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमां ने 16 अक्तूबर को ही 1931 में बने इस पुराने एयरबेस का दौरा किया था। यहां लड़ाकू विमान रखने के लिए विशाल हैंगर बनवाया जा रहा है। एयरबेस शुरू करने के पीछे चीन का हाथ होने के आसार हैं। मोहम्मद यूनुस ने मार्च में चीन का दौरा किया था और बीजिंग में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की थी।
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