चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने शुक्रवार को अनुसंधान और विकास पर जोर दिया। मानेकशॉ सेंटर में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने रक्षा निर्माण में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, निजी क्षेत्र और एमएसएमई के योगदान पर प्रकाश डाला।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने शुक्रवार को अनुसंधान और विकास पर जोर दिया। मानेकशॉ सेंटर में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने रक्षा निर्माण में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, निजी क्षेत्र और एमएसएमई के योगदान पर प्रकाश डाला।
‘रक्षा में आत्मनिर्भरता और भविष्य के युद्ध के लिए रक्षा उद्योग पारिस्थितिकी तंत्र का लाभ उठाना’ विषय पर ब्रेनस्टार्मिंग सेशन 2.0 का आयोजन हेडक्वार्टर इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ (एचक्यू आइडीएस) द्वारा सोसाइटी आफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स (एसआईडीएम) के सहयोग से किया गया था।
हेडक्वार्टर इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ के एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित ने अपने स्वागत भाषण में तकनीकी उन्नति और अनुसंधान एवं विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने पर जोर दिया।
दिन भर चले सत्र में भविष्य के युद्धों के लिए आवश्यक मुद्दों पर चर्चा की गई, जिनमें गोला-बारूद और विस्फोटक और भविष्य की तकनीकों में अनुसंधान एवं विकास शामिल थे।
कार्यक्रम में राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा क्षेत्र के प्रमुख हितधारकों को प्राथमिकता वाली चुनौतियों का समाधान करने, विकास के अवसरों की पहचान करने और स्पष्ट, कार्यान्वयन योग्य योजनाओं को सुगम बनाने के लिए एक साथ लाया गया।
एक बयान में कहा गया कि सत्र के दौरान सामने आने वाली बातें आत्मनिर्भरता बढ़ाने, भविष्य के युद्ध क्षेत्रों में भारत के नेतृत्व को सशक्त बनाने और रक्षा क्षेत्र में परिचालन तैयारियों और उद्योग क्षमताओं को और मजबूत करने में मदद करेगी।
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