अमेरिकी अदालत ने शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि ट्रंप प्रशासन फिलहाल कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय (यूसी) की संघीय फंडिंग न तो तुरंत रोक सकता है और न ही उस पर जुर्माना लगा सकता है। यह रोक सैन फ्रांसिस्को की संघीय जज रीटा लिन ने लगाई, जिन्होंने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के शिक्षकों, छात्रों और कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाली यूनियनों की याचिका पर अस्थायी निषेधाज्ञा जारी की।
क्या है मामला?
यूनियनों का आरोप है कि ट्रंप प्रशासन कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय पर फंडिंग कटौती का दबाव डालकर अलग-अलग विचारों, खासकर विरोधी आवाजों, को चुप कराना चाहता है। उनका कहना है कि यह संविधान और संघीय कानूनों का उल्लंघन है। व्हाइट हाउस और न्याय विभाग ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
यूसीएलए पर भारी कार्रवाई
इस साल गर्मियों में यूसीएलए पर 1.2 बिलियन डॉलर का जुर्माना लगाया गया। इसके साथ ही, उसके अनुसंधान फंड को भी फ्रीज कर दिया गया। प्रशासन का आरोप था कि यूसीएलए ने कैंपस में यहूदी-विरोधी घटनाओं को रोकने में विफलता दिखाई। यूसीएलए पहला सार्वजनिक विश्वविद्यालय था जिस पर इस तरह की कार्रवाई हुई। निजी विश्वविद्यालयों, जैसे कोलंबिया, पर भी प्रशासन ने फंड रोकने जैसी कार्रवाई की है।
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय सिस्टम पर असर
कैलिफोर्निया विवि के अध्यक्ष जेम्स बी. मिलिकेन ने कहा है कि यूसीएलए पर लगाया गया इतना बड़ा जुर्माना पूरे कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय सिस्टम को आर्थिक रूप से झकझोर देगा। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय प्रशासन फिलहाल ट्रंप प्रशासन के साथ बातचीत कर रहा है, लेकिन वह वर्तमान मुकदमे में शामिल नहीं है।
प्रशासन की मांगें क्या हैं?
प्रशासन ने यूसीएलए के सामने कुछ सख्त शर्तें रखी हैं, जिनमें लैंगिक पहचान पर प्रशासन के विचारों के अनुसार नीति बदलना, विदेशी छात्रों को एडमिशन देने से पहले यह सुनिश्चित करना कि वे अमेरिका-विरोधी, पश्चिम-विरोधी या यहूदी-विरोधी गतिविधियों में शामिल न हों और अन्य कड़े नियम, जो अक्तूबर में जारी प्रस्ताव में शामिल थे। इससे पहले प्रशासन ब्राउन यूनिवर्सिटी के साथ 50 मिलियन डॉलर और कोलंबिया यूनिवर्सिटी के साथ 221 मिलियन डॉलर की सेटलमेंट डील कर चुका है।
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