हाई कोर्ट ने पतंजलि समूह के डायरेटर व स्वामी रामदेव के भाई राम भरत का पासपोर्ट जारी करने के मामले पर सुनवाई की। सोमवार को वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की राम भरत को कोई राहत नहीं देते हुए निचली अदालत में पासपोर्ट जारी करने के लिए आवेदन करने को कहा हैं। साथ ही केंद्र सरकर व राज्य सरकार को चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है। अगली सुनवाई को 12 जनवरी की तिथि नियत की है।
पतंजलि के निदेशक का पासपोर्ट जारी करने से संबंधित प्रार्थना पत्र हाईकोर्ट से निरस्त
कोर्ट ने पतंजलि के निदेशक रामभरत का प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया। सुनवाई के दौरान विपक्षीगणों की ओर से रामभरत के विरुद्ध 2019 में धारा-302 का मुकदमा एडीजे कोर्ट हरिद्वार मे विचाराधीन हैं। जिसका ट्रायल चल रहा है, इसलिए अपने पासपोर्ट को रिलीज कराने के लिए वहीं प्रार्थना पत्र देना चाहिए। 2019 में जारी विदेश मंत्रालय की अधिसूचना में साफ प्रविधानों है कि यदि किसी व्यक्ति के विरुद्ध कोई मुकदमा दर्ज है तो वह अपने पासपोर्ट को रिलीज कराने के लिए उसी कोर्ट मे आवेदन कर सकता हैं, न की अन्य कोर्ट में जबकि इसकी पुष्टि एसएसपी हरिद्वार की रिपोर्ट में भी हुई है। जिसकी वजह से एडीजे कोर्ट ने उनका आवेदन निरस्त कर दिया था।
एडीजे कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी
रामभरत ने एडीजे कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी। जिसमें कहा गया की उनका पासपोर्ट रिलीज कराने का आदेश संबंधित विभाग को दिए जाएं। पतंजलि ग्रुप के डायरेक्टर राम भरत ने याचिका दायर कर कहा है की उनका पासपोर्ट बिना कारण पासपोर्ट विभाग ने जब्त कर दिया गया है। जबकि उनको कंपनी के जरुरी कार्यों के लिए बाहर जाना पड़ता है। जब से पासपोर्ट जब्त हुआ है, कंपनी के कई कार्य नहीं हो पर रहे हैं, लिहाजा उनका पासपोर्ट रिलीज कराने के आदेश दे दिए जाएं। एकलपीठ ने प्रार्थना पत्र को निरस्त करते हुए कहा हैं कि इसके लिए संबंधित कोर्ट मे आवेदन कर सकते हैं।
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