उत्तराखंड के देहरादून में नस्लीय टिप्पणी करने पर एक आदिवासी छात्र को बेरहमी से पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया गया। छात्र का शव त्रिपुरा पहुंचते ही पूरे राज्य में हड़कंप मच गया है।
पीड़ित का नाम अंजेल चकमा है, जो त्रिपुरा का निवासी था। अंजेल देहरादून के जिज्ञासा विश्वविद्यालय में एमबीए के अंतिम वर्ष का छात्र था। अंजेल पर जानलेवा हमले के बाद वो गंभीर रूप से घायल हो गया था। कई दिनों तक अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच लड़ाई लड़ने के बाद अंजेल ने दम तोड़ दिया।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल देहरादून के सेलाक्वी इलाके में 9 दिसंबर को शाम लगभग 6-7 बजे अंजेल अपने छोटे भाई माइकल चकमा के साथ किराने का सामान खरीदने बाहर गया था। इस दौरान शराब के नशे में धुत्त कुछ लोगों ने दोनों भाइयों पर नस्लीय टिप्पणियां कर दीं।
खबरों के अनुसार, हमलावरों ने अपशब्दों के साथ कई अपमानजनक बातें भी की। जब दोनों भाइयों ने इसका विरोध किया, जो हमलावरों ने हिंसा शुरू कर दी। इस दौरान माइकल के सिर पर प्रहार किया गया। वहीं, अंजेला की गर्दन और पेट में चाकू मार दी गई। अंजेला को स्थानीय अस्पताल में भर्ती किया गया, जहां शुक्रवार को उसकी मौत हो गई।
अंतिम संस्कार में जुटी भीड़
अंजेला के शव को दिल्ली के रास्ते अगरतला ले जाया गया। महाराजा बीर बिक्रम हवाई अड्डे पर परिवार के सदस्यों समेत कई नेता मौजूद थे। वहां से शव को अंजेला के पैतृक गांव उनाकोटी ले जाया गया। उसके अंतिम संस्कार से पहले घर के बाहर भारी संख्या में लोगों का जमावड़ा लग गया।
केंद्र सरकार से की गई मांग
अंजेला की मौत के बाद परिजनों समेत कई छात्र संगठनों ने केंद्र सरकार से दखल देने की मांग की है। उनका कहना है कि दोषियों को कड़ी सजा दी जाए, साथ ही उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के युवाओं पर होने वाली नस्लीय टिप्पणी की समस्या के समाधान के लिए कठोर कदम उठाए जाएं।
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