प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा एंटीबायोटिक के दुरुपयोग के खिलाफ दिया गया संदेश समय की बड़ी जरूरत है और यह देश में तेजी से बढ़ रहे एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (एएमआर) जैसे गंभीर स्वास्थ्य संकट की ओर ध्यान खींचता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा कि ‘मन की बात’ कार्यक्रम में पीएम की चेतावनी ने इस “खामोश महामारी” को राष्ट्रीय विमर्श के केंद्र में ला दिया है।
प्रधानमंत्री ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की एक हालिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि भारत में निमोनिया और मूत्र संक्रमण जैसी बीमारियों में एंटीबायोटिक की प्रभावशीलता घट रही है। उन्होंने लोगों से अपील की कि बिना जरूरत और डाक्टर की सलाह के बगैर एंटीबायोटिक का सेवन न करें।
एक्सपर्ट्स ने भी जताई चिंता
आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने कहा कि एएमआर का मतलब है कि संक्रमण फैलाने वाले बैक्टीरिया अब उन दवाओं पर असर नहीं दिखा रहे, जिनसे पहले आसानी से इलाज हो जाता था। वहीं, आईएमए के पूर्व पदाधिकारी डॉ. राजीव जयदेवन ने इसे स्वास्थ्य व्यवस्था पर मंडराता गंभीर खतरा बताया।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में भारत में हर तीन में से एक बैक्टीरियल संक्रमण आम एंटीबायोटिक के प्रति प्रतिरोधी पाया गया। ‘लैंसेट’ की एक रिपोर्ट ने भारत को ‘सुपरबग’ संकट के केंद्र में बताया है।
हेल्थ एक्सपर्ट ने की ये अपील
एम्स दिल्ली के विशेषज्ञ डा. नीरज निश्चल ने कहा कि स्वयं दवा लेना, अधूरा कोर्स और वायरल बीमारियों में एंटीबायोटिक का इस्तेमाल एएमआर को बढ़ाता है। विशेषज्ञों ने लोगों से अपील की कि एंटीबायोटिक का प्रयोग केवल डॉक्टर की सलाह पर करें और पूरा कोर्स जरूर लें, तभी इस संकट से निपटा जा सकता है।
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