नई दिल्ली 22 जनवरी।उच्चतम न्यायालय ने संसद से सदस्यों को अयोग्य ठहराने के लोकसभा और विधानसभा अध्यक्षों के अधिकारों की समीक्षा करने को कहा है।
न्यायालय ने इस बारे में कल ऐतिहासिक व्यवस्था देते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि संसद को फिर से सोचना होगा कि क्या किसी सदस्य को अयोग्य ठहराने की याचिकाओं पर फैसले का अधिकार लोकसभा या विधानसभा अध्यक्ष को अर्द्धन्यायिक प्राधिकारी के रूप में दिया जाना चाहिए। न्यायालय ने कहा कि सदन का अध्यक्ष प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से किसी पार्टी विशेष से जुड़ा होता है।
न्यायालय ने कहा कि किसी सदस्य को अयोग्य ठहराने का अधिकार लोकसभा या विधानसभा अध्यक्ष की बजाए संसदीय ट्रिब्यूनल को देने के लिए संविधान संशोधन पर संसद को गम्भीरता से विचार करना चाहिए। न्यायालय ने मणिपुर विधानसभा अध्यक्ष से कहा कि भारतीय जनता पार्टी के सदस्य और राज्य के वन मंत्री श्याम कुमार को अयोग्य घोषित करने की कांग्रेस नेता की याचिका पर चार हफ्ते के भीतर निर्णय दें।
न्यायालय कांग्रेस नेता केशम मेघचन्द्र सिंह द्वारा मणिपुर उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई कर रहा था।
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