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छत्तीसगढ़ में तीन वर्षों में स्थापित हुए 1715 नए उद्योग – भूपेश

रायपुर, 13 फरवरी।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि राज्य में पिछले तीन वर्षों में 1715 नए उद्योग स्थापित हुए, जिसमें 19 हजार 500 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश हुआ तथा 33 हजार लोगों को रोजगार मिला है।

श्री बघेल ने आज आकाशवाणी से प्रसारित मासिक रेडियो वार्ता लोकवाणी की 26वीं कड़ी में यह जानकारी देते हुए कहा कि इसके अलावा 149 एमओयू भी किए गए हैं, जिसमें 74 हजार करोड़ रुपए का निवेश होगा और 90 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा।उन्होने बताया कि बायो एथेनॉल प्लांट लगाने के लिए 18 निवेशकों के साथ 3 हजार 300 करोड़ रुपए से अधिक के निवेश के लिए एमओयू किया गया है, जिसमें दो हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा।उन्होने कहा कि हमने तो धान से एथेनॉल बनाने की अनुमति भी केन्द्र सरकार से मांगी है।

उन्होने कहा कि छत्तीसगढ़ में उद्योग, व्यापार और कारोबार के लिए अनुकूल वातावरण है। उन्होंने कहा कि संभावनाओं से भरपूर राज्य में देश और दुनिया के निवेशक आकर देखें कि यहां उद्योग मित्र, व्यापार मित्र, कारोबार मित्र, उपभोक्ता मित्र, पर्यटक मित्र, रोजगार मित्र नीतियों से कैसे नवा छत्तीसगढ़ गढ़ा जा रहा है। राज्य में हमने शुरू से ही ऐसे कार्यों को महत्व दिया है, जिससे प्रदेश में आर्थिक गतिविधियों में तेजी आए और रोजगार के अवसर बढ़ें।

श्री बघेल ने कहा कि राज्य में हमारे फैसलों से गांवों की अर्थव्यवस्था मजबूत हुई। उसका लाभ उद्योग और व्यापार जगत को मिला। निश्चित तौर पर सबके सहयोग से हम छत्तीसगढ़ की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को प्रदेश की अर्थव्यवस्था का आधार बनाने में सफल होंगे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बनने के बाद मैंने औद्योगिक नीति 2019-2024 की घोषणा की थी,  जिसमें फूड, एथेनॉल, इलेक्ट्रॉनिक्स, डिफेंस, दवा, सोलर जैसे नए उद्योगों को प्राथमिकता दी गई थी। हम चाहते हैं कि छत्तीसगढ़ में सेवा क्षेत्र को बहुत प्रोत्साहन मिले। इसके लिए पर्यटन के अलावा अन्य कार्यों को भी चिन्हांकित किया गया है।

उन्होने कहा कि हमने अपना वादा निभाते हुए विकासखण्डों में फूडपार्क की स्थापना के लिए 110 विकासखण्डों में भूमि का चिन्हांकन कर लिया है। औद्योगिक नीति में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिलाओं, कृषि उत्पादक समूहों, तृतीय लिंग के लोगों के लिए विशेष पैकेज हैं। अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए ऐसा कोई प्रावधान औद्योगिक नीति में नहीं था। इस दिशा में ध्यान देते हुए ओबीसी प्रवर्ग हेतु 10 प्रतिशत भू-खण्ड आरक्षित किए जाएंगे, जो कि भू-प्रीमियम दर के 10 प्रतिशत दर तथा एक प्रतिशत भू-भाटक पर उपलब्ध कराए जाएंगे।

श्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में हमने उद्योगों की सुगमता पर भी जोर दिया है। निश्चित तौर पर ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के मापदण्ड विश्व बैंक द्वारा तय किए जाते हैं। इससे पता चलता है कि किसी देश अथवा किसी राज्य में कामकाज की सुगमता की क्या स्थिति है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के मापदण्डों में छत्तीसगढ़ देश के प्रथम छह राज्यों में शामिल है। उद्योग विभाग द्वारा एकल खिड़की प्रणाली से 56 सेवाएं ऑनलाइन दी जा रही हैं। ई-डिस्ट्रिक्ट के अंतर्गत 82 सेवाएं ऑनलाइन की गई हैं, जिसमें दुकान पंजीयन से लेकर कारोबार के लायसेंस तक शामिल हैं।

श्री बघेल ने कहा कि पर्यटन से भी राज्य में बड़े पैमाने पर रोजगार के नये अवसर बनेंगे। राम वन गमन पथ के अंतर्गत कोरिया से लेकर सुकमा जिले तक 75 स्थानों का चिन्हांकन किया गया है। प्रथम चरण में 9 स्थानों का विकास किया जा रहा है। चन्दखुरी-जिला रायपुर में माता कौशल्या मंदिर परिसर का जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण किया गया है, जिसके कारण यहां बड़े पैमाने पर पर्यटक पहुंचने लगे हैं।आदिवासी अंचलों में देवगुड़ी तथा घोटुल स्थलों का विकास किया जा रहा है। सतरेंगा, सरोधा दादर, बालाछापर सरना, गंगरेल आदि स्थानों पर नए तरह के पर्यटन की सुविधाएं विकसित की गई हैं, जिससे इन स्थानों में बड़ी संख्या में लोग पहुंचने लगे हैं। इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर पर भी बढ़े हैं। छत्तीसगढ़ी खान-पान को प्रोत्साहित करने के लिए गढ़ कलेवा की स्थापना 16 जिलों में कर दी गई है। हमने छत्तीसगढ़ की अपनी फिल्म विकास नीति भी लागू कर दी है।