एक के बाद एक भारत के कई पड़ोसी देश आर्थिक संकट में फंसते जा रहे हैं. श्रीलंका दिवालिया हो चुका है, पाकिस्तान भी दिवालिया होने की कगार पर है, वहीं मालदीव भी कर्ज में डूबा हुआ है, नेपाल का विदेशी मुद्रा भंडार भी खत्म होने के कगार पर है और उसने आयात पर कई तरह के प्रतिबंध लगा रखे हैं. अब इन सबके बीच बांग्लादेश का नाम सामने आया है. रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना और रूस यूक्रेन युद्ध ने बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था को भी पटरी से उतार दिया है. वित्तीय संकट से निपटने के लिए बांग्लादेश ने वाशिंगटन स्थित अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से 4.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का लोन मांगा है.
आईएमएफ को बताए हैं लोन के तीन कारण
ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट की मानें तो बांग्लादेश ने तेजी से घटते विदेशी मुद्रा भंडार (विदेशी मुद्रा) के मद्देनजर आईएमएफ से यह लोन मांगा है. सूत्रों के अनुसार, आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा को लिखे पत्र में, बांग्लादेश सरकार ने भुगतान संतुलन और बजट सपोर्ट के साथ-साथ बांग्लादेश पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए इस लोन की डिमांड की है.
सितंबर तक टीम जा सकती है बांग्लादेश
बांग्लादेश के वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, 4.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर लोन में से 1.5 बिलियन संभवतः ब्याज मुक्त रहेगा, जबकि शेष राशि के लिए बांग्लादेश को 2 पर्सेंट के हिसाब से ब्याज देना होगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि आईएमएफ की तरफ से इस मांग पर विचार करते हुए एक टीम लोन के नियमों और शर्तों पर बात करने के लिए सितंबर में बांग्लादेश का दौरा कर सकती है. वहीं अधिकारियों ने बताया कि यह डील दिसंबर तक बंद होने की उम्मीद है.
सही समय पर बांग्लादेश ने मांगा है लोन
अर्थशास्त्री देबप्रिया भट्टाचार्य ने बताया कि “अभी बांग्लादेश एक बड़े व्यापार घाटे से गुजर रहा है. साथ ही सुधार की भी कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है. ऐसे में एक्सचेंज रेट पर काफी दबाव है. विदेशी मुद्रा की कमी के कारण आयात मुश्किल हो रहा है और ऐसी स्थिति में आईएमएफ में जाना तार्किक और सही कदम है. उन्होंने कहा कि श्रीलंका ने आईएमएफ में जाने में बहुत देरी की थी, जिस वजह से उसका ये हाल हुआ.”
इन कामों में यूज किया जाएगा पैसा
देबप्रिया भट्टाचार्य ने कहा कि आईएमएफ से लोन मिलने से पहले बहुत सी शर्तों को पूरा करना होगा. अगर वहां से पैसा मिल जाता है तो उसका इस्तेमाल मुख्य रूप से इस समय विदेशी लेनदेन में बड़े घाटे को पूरा करने के लिए किया जाएगा. इसके अलावा टका की विनिमय दर को स्थिर करने के भी प्रयास इन रुपयों से किए जाएंगे.
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