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कानपुर की क्राइम ब्रांच की टीम ने आगरा से पांच और शहर से तीन शातिर ठगों काे किया गिरफ्तार..

कानपुर कमिश्नरेट पुलिस की क्राइम ब्रांच टीम ने चीन से ऑपरेट हो रहे साइबर फ्रॉड का बड़ा खुलासा किया है। कमोडिटी एक्सचेंज, क्रिप्टो करंसी और गेमिंग के जरिये भारतीयों को शिकार बनाया जा रहा है। पुलिस ने अबतक सात साइबर ठगों को गिरफ्तार करके पूरे गिरोह का पता लगाने और मास्टर माइंड की तलाश में जुट गई है।

ऐसे पकड़ में आया पूरा मामला

कानपुर के एम्पोरियम स्टेट सिविल लाइंस निवासी फैजउर रहमान ने कोतवाली थाने में 12 जून को ठगी की शिकायत दर्ज कराई थी। फैजउर रहमान ने बताया कि 30 अप्रैल से शेयर ट्रेडिंग शुरू की थी और एक वेब साइट के माध्यम से इनवेस्ट करना शुरू कर दिया था। वेबसाइट ने अच्छा रिटर्न देना शुरू किया तो भरोसा होने पर एक साथ 11 लाख रुपये इनवेस्ट कर दिए। 11 लाख रुपये का रिंबर्स मिलने के पहले ही वेबसाइट 30 मई को क्रैश हो गई और उसके बारे में कोई लिंक नहीं मिल रहा है। थाना कोतवाली से मामला क्राइम ब्रांच को भेजा गया।

इस तरह पकड़ में आए साइबर ठग

क्राइम ब्रांच ने कड़ी से कड़ी जोड़कर पूरे नेटवर्क तक पहुंचने का प्रयास शुरू किया। डीसीपी क्राइम सलमान ताज पाटिल के नेतृत्व में टीमों ने काम करना शुरू किया। टीम ने ठग गिरोह के चार सदस्यों को आगरा से पकड़ लिया। इनकी पहचान दो सगे भाई विकास और विक्रम सिंह पुत्र महावीर सिंह तथा विकास पुत्र दीवान सिंह और नितिन पुत्र पवन सोनी और राहुल पुत्र राजकुमार नागर थी। नितिन सोनी के पिता सराफा व्यवसायी हैं और बाकी अभियुक्त प्राइवेट नौकरी करते हैं। राहुल नागर फर्जी पतों पर सिम का प्रबंध करता है, जिस खाते में पैसे ट्रांसफर हुए वह नितिन सोनी का है। सभी अभियुक्तों की उम्र 25-30 साल के बीच है।

कानपुर सेंट्रल आए थे शातिर

इसके बाद क्राइम ब्रांच ने जांच आगे बढ़ाई तो तार चीन के साइबर क्रिमिनल से जुड़े मिले। चीन में बैठे शातिर भारत में ही बैठे नौजवान युवकों को चेहरा बनाकर वेबसाइट से ठगी का धंधा कर रहे हैं। कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर मिलने आए तीन और सदस्यों को पुलिस ने पकड़ लिया। इनमें यश पुत्र महेश यादव निवासी वार्ड नंबर 6 शिव कालोनी हेली मंडी गुड़गांव हरियाणा, श्रवण यादव पुत्र उदयभान निवासी 131 भवानीगंज जनपद सिद्धार्थनगर उत्तर प्रदेश और अनुपम पुत्र प्रेमचंद्र द्विवेदी निवासी अतरा रोड नेतानगर नगर आंशिक निकट पावर हाउस बबेरू देहात बांदा  हैं। ये तीनों यहां पर एटीएम कार्ड और करंट खातों का प्रबंध करने आए थे और आगे की प्लानिंग करनी थी।

चीन के मास्टर माइंड की तलाश

क्राइम ब्रांच की टीम चीनी मास्टर माइंड की तलाश में जुटी है। यश और श्रवण के नाम पर कई फर्जी कंपनी बनी हैं। श्रवण के खाते में पैसा आता था और वह उसे यूएस डालर में बदलकर चीन के हैंडलर के बताए खातों में ट्रांसफर करता था। यश खाते और एटीएम का इंतजाम करता था। अनुपम ओटीपी और ठगी के लिए इस्तेमाल होने वाले सामान के कोरियर का काम करता था। अनुपम ने छह से सात रिश्तेदारों को कंपनी का डायरेक्टर बना रखा था।