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मैनपुरी सीट से डिंपल यादव को जिताने के लिए पूरी ताकत से लड़ेगी सपा

मैनपुरी सीट से सपा की उम्मीदवार डिंपल यादव को जिताने के लिए सपा पूरी ताकत से लड़ेगी। पत्नी डिंपल के लिए अखिलेश यादव भी चुनावी मैदान में नजर आएंगे। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव रामपुर और आजमगढ़ वाली गलतियों को नहीं दोहराएंगे। दरअसल मैनपुरी का अभेद्य दुर्ग भाजपा भेद न सके इसके लिए अखिलेश हर स्तर पर सावधानी बरत रहे हैं। रामपुर और आजमगढ़ में सपा की हार की अखिलेश के चुनाव प्रचार न करने की वजह बताई गई थी, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। अखिलेश यादव और संगठन के बड़े नेता इस बार चुनावी प्रचार भी करेंगे और डिंपल को जिताने के लिए पूरी ताकत झोंकेंगे। रामपुर और आजमगढ़ में मिली हार पर अखिलेश यादव ने बताया था कि वह क्यों चुनाव प्रचार करने नहीं गए थे। उन्होंने कहा, पार्टी पदाधिकारियों ने मना किया था। उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारियों ने मतदाताओं को निकलने ही नहीं दिया, पैसा बांटा गया और ट्रक से शराब भी भेजी गई। उन्होंने बताया कि मुझे भरोसा दिया गया था कि मेरे वहां जाने की कोई जरूरत नहीं है। पार्टी कार्यकर्ताओं के भरोसे अतिविश्वास में आए अखिलेश इस बार पिछली बार तरह गलती नहीं दोहराएंगे। पत्नी डिंपल और सपा की साख बचाने के लिए अखिलेश यादव मैनपुरी में चुनाव प्रचार करते नजर आएंगे। परिवार में कोई फूट नजर न आए इसको लेकर पूर्व सांसद धर्मेन्द्र यादव और तेज प्रताप को चुनाव प्रबंधन की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देकर एक मंच पर खड़ा करेंगे। अखिलेश ने साधे जातीय समीकरण पत्नी डिंपल यादव को मैनपुरी लोकसभा सीट से उतारने से पहले अखिलेश ने यहां जातिगत समीकरण भी साधने की कोशिश की है। दरअसल मैनपुरी सीट पर यादव के बाद सबसे अधिक शाक्य मतदाता हैं इसलिए अखिलेश ने पूर्व मंत्री आलोक शाक्य को सपा का जिलाध्यक्ष बनाया है। आलोक शाक्य भोगांव विधानसभा से तीन बार विधायक भी रह चुके हैं। उनके पिता राम औतार शाक्य भी दो बार के विधायक रहे हैं। सपा की हार पर राजभर ने अखिलेश पर साधा था निशाना रामपुर और आजमगढ़ उपचुनाव में सपा की सहयोगी रहे ओपी राजभर ने अखिलेश यादव पर जमकर हमला बोला था। राजभर ने अखिलेश को रामपुर और आजमगढ़ में हुई हार का जिम्मेदार ठहराया था। राजभर ने कहा था कि अखिलेश यादव एसी कमरे में बैठे रहे। वह चुनाव के दौरान कमरे से बाहर तक नहीं निकले। जबकि सुभासपा के कार्यकर्ताओं ने जनता के बीच जाकर पसीना बहाया। अखिलेश यादव अगर जनता के बीच गए होते तो सपा की हार नहीं होती।