नई दिल्ली 08 फरवरी।पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी.चिदंबरम ने केंद्र सरकार के बजट पर सवाल खड़े करते हुए कई मुद्दों पर सरकार को घेरने की जोरदार कोशिश की।
श्री चिदंबरम ने राज्यसभा में बजट पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि इस बजट से राजकोषीय घाटा पर प्रभाव पड़ा है।सरकार ने बजट में मिडिल क्लास को कोई राहत नहीं दी।उऩ्होने कहा कि मोदी सरकार को मेहनतकश मिडल क्लास पर ज्यादा टैक्स लगाने की बजाय अमीर घरानों पर ज्यादा टैक्स लगाना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा ‘मौजूदा सरकार को भविष्य में आंकड़ों से छेड़छाड़ कर तथ्यों को बढ़ा चढ़ाकर पेश करने वाली सरकार कहा जाएगा।सरकार जीडीपी बढ़ने का दावा पेश करती है लेकिन दूसरी तरफ देश में रोजगार हर दिन घट रहे हैं।’
श्री चिदंबरम ने सरकार पर बीते चार सालों से सिर्फ जुमलों की बारिश करने का आरोप लगाते हुए कहा कि धरातल पर कोई ठोस काम नहीं होने के कारण अर्थव्यवस्था की हालत उस गंभीर मरीज की तरह हो गई है, जिसका डाक्टर (मुख्य आर्थिक सलाहकार) तो अच्छा है लेकिन मरीज की देखभाल कर रही सरकार, डाक्टर की सलाह पर अमल करने को कतई तैयार नहीं है।
उन्होंने अर्थव्यवस्था की नाजुक हालत का हवाला देते हुए वित्त मंत्री से दर्जन भर सवाल पूछे। उन्होंने आर्थिक समीक्षा में वित्तीय वर्ष 2018-19 में वित्तीय घाटे को अब तक की सबसे खराब स्थिति में बताते हुए इसके 3.4 प्रतिशत के स्तर पर रहने का अनुमान व्यक्त किया गया है।श्री चिदंबरम ने कहा कि बजट में वित्तीय घाटे और मंहगाई को काबू में करने का कोई जिक्र नहीं है। सत्तापक्ष की नारेबाजी के बीच चिदंबरम ने लगभग पौन मिनट के अपने भाषण में सरकार की आर्थिक नीतियों को देश की जनता के साथ धोखा बताते हुए भविष्य में इसके गंभीर प्रभावों की ओर आगाह किया।
उन्होंने सरकार पर आंकड़ों को छुपाने का आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले चार सालों में आर्थिक वित्तीय घाटा बढऩे की दर 3.2 से 3.5 प्रतिशत होने के बाद सरकार की देनदारियां बढ़कर 85 हजार करोड़ रुपए पर पहुंच गई। उन्होंने सरकार से पूछा कि यह बात बजट से नदारद क्यों है।