भारत और रूस के संबंधों में क्या बदलाव आ रहा है, इसे इस तथ्य से समझा जा सकता है कि यह लगातार दूसरा वर्ष होगा जब दोनों देशों के बीच शीर्ष स्तरीय सालाना बैठक नहीं होगी। इसकी भरपाई करने के लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर अगले कुछ दिनों के भीतर मास्को जा रहे हैं।
वहां, रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ वह द्विपक्षीय वार्ता करेंगे, जिसमें ऊर्जा व कारोबारी क्षेत्र से जुड़े मुद्दों पर ज्यादा फोकस रहेगा। इसके अलावा पीएम नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच दिसंबर, 2021 में हुई मुलाकात में जिन मुद्दों को लेकर सहमति बनी थी, उन्हें लेकर भी बात होगी।
भारत-रूस के रिश्तों पर आया बदलाव
कई जानकार मान रहे हैं कि वैश्विक परिचय में हो रहे बदलाव का साया भारत-रूस के रिश्तों पर भी साफ तौर पर देखा जा सकता है। यह भी उल्लेखनीय है कि इस पूरे वर्ष भारत का कोई बड़ा नेता रूस की यात्रा पर नहीं गया है। विदेश मंत्री जयशंकर ने भी नवंबर, 2022 में ही रूस की यात्रा की थी। हालांकि, 2023 में रूस के विदेश मंत्री लावरोव जी-20 बैठक में रूस का नेतृत्व करने के लिए यहां आये थे।
ईस्ट इकोनोमिक फोरम
रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई सोइगू भी भारत की यात्रा कर चुके हैं। इसके अलावा रूस के सिक्यूरिटी काउंसिल के सचिव (एनएसए के समकक्ष) निकोलाइ प्रातृशेव और पुतिन कैबिनेट के एक अन्य प्रमुख मंत्री अलेक्जेंदर कुरुनकोव भी भारत आये हैं। रूस के सुदूर पूर्वी शहर व्लादिवोस्तक में होने वाले ईस्ट इकोनोमिक फोरम (सितंबर, 2023) में भारत बंदरगाह व जहाजरानी मंत्री सर्बनंदा सोनोवाल ने हिस्सा लिया था। इस फोरम में पहले पीएम मोदी हिस्सा ले चुके हैं।
पीएम मोदी के सक्षम नेतृत्व की कई बार तारीफ
भारत के नेतृत्व में हुए जी-20 शिखर सम्मेलन में पुतिन और चीन के राष्ट्रपति चिनफिंग ने हिस्सा नहीं लिया था। वैसे पुतिन ने हाल के दिनों में पीएम मोदी के सक्षम नेतृत्व की कई बार तारीफ की है और भारत को रूस का एक बड़ा रणनीतिक साझेदार बताया है।सूत्रों ने बताया कि लावरोव और जयशंकर के बीच होने वाली वार्ता में आर्थिक व ऊर्जा संबंधी मुद्दे ज्यादा महत्वपूर्ण रहेंगे। दोनों देशों के बीच रुपये व रूबल में कारोबार करने की सहमति बनी थी और कुछ कारोबार शुरू भी हुआ है लेकिन यह उम्मीद के मुताबिक नहीं है। इसकी समीक्षा की जाएगी।
द्विपक्षीय व्यापार में बढ़ते असंतुलन का मुद्दा भी भारत उठाएगा
रूस से कच्चे तेल की खरीद और वहां के ऊर्जा सेक्टर में भारतीय कंपनियों की तरफ से किये जाने वाले निवेश के मुद्दे भी महत्वपूर्ण होंगे। रूस ने अपने सुदूर पूर्वी इलाके के ऊर्जा सेक्टर में भारतीय कंपनियों को निवेश का आमंत्रण दिया था। कुछ भारतीय कंपनियां इसके लिए तैयार हैं, लेकिन रूस पर आयत अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध एक बड़ी अड़चन है। दोनों देशों के द्विपक्षीय व्यापार में बढ़ते असंतुलन का मुद्दा भी भारत उठाएगा।
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