नई दिल्ली 02 जुलाई।उच्चतम न्यायालय मुसलमानों में बहुविवाह और निकाह हलाला की प्रथा को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं की सुनवाई पर सहमत हो गया है।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में तीन न्यायाधीशों की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता वी शेखर की इस दलील पर विचार किया कि इन याचिकाओं को सुनवाई के लिए पांच जजों की संविधान पीठ को सौंप दिया जाए।दिल्ली के याचिकाकर्ताओं में से एक समीना बेगम के वकील शेखर और अश्विनी उपाध्याय ने आरोप लगाया कि उनकी मुवक्किल को धमकी दी गई है और कहा गया है कि वे निकाह हलाला और बहुविवाह को चुनौती देने वाली अपनी याचिका वापस ले लें।
पीठ ने अतिरिक्त महाधिवक्ता तुषार मेहता को केन्द्र की ओर से इस मुद्दे पर संबंधित याचिका का जवाब दाखिल करने को कहा है।
दिल्ली की महिला की एक याचिका में कहा गया है कि मुस्लिम पसर्नल लॉ के अनुसार आईपीसी की धारा 494 मुसलमानों पर लागू नहीं होती और समुदाय की शादी-शुदा महिला को ये हक नहीं है कि वह पति के बहुविवाह की शिकायत करे। निकाह हलाला की रस्म का उद्देश्य समुदाय में तलाक की घटनाओं पर लगाम लगाना है। इसके अनुसार एक पुरूष अपनी पूर्व पत्नी को जिसे उसने तलाक दे दिया है, उससे दुबारा शादी तब ही कर सकता है, जब वह महिला किसी दूसरे पुरूष से शादी करे और वह व्यक्ति उसे तलाक दे दे और इद्दत की अवधि पूरी करे।