
अमेठी संसदीय सीट से कांग्रेस ने श्री किशोरीलाल शर्मा को उतार कर देशवासियों को भले ही चौंकाया हो लेकिन अमेठी के लोगो का मानना है कि गांधी परिवार के बाद किशोरीलाल शर्मा से बेहतर और कोई उम्मीदवार नही हो सकता था।श्री शर्मा गांधी परिवार के हनुमान है,और लगभग 40 वर्षों से उनका अमेठी से नाता रहा है।
अमेठी में केएल और भाई साहब के नाम से कांग्रेस कार्यकर्ताओं में मशहूर श्री शर्मा पंजाब के लुधियाना के मूल निवासी है,लेकिन स्व.राजीव गांधी के अमेठी में 1981 में उप चुनाव जीतने और कैप्टन सतीश शर्मा के उनका प्रतिनिधि बनने के बाद उनकी टीम में शामिल होकर अमेठी आए और फिर अमेठी और रायबरेली के होकर रह गए।कैप्टन शर्मा ने अमेठी की सभी पांचों विधानसभाओं में एक एक समन्वयक नियुक्त किया जिसमें श्री शर्मा को जगदीशपुर विधानसभा का दायित्व मिला।
एक समन्वयक के रूप में अमेठी में अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू करने वाले श्री शर्मा ने धीरे धीरे अपनी कुशल कार्यशैली से लोगो का दिल जीत लिया।राजीव जी की हत्या के बाद कैप्टन शर्मा ने जब गांधी परिवार के हनुमान के रूप में अमेठी से 1991 में उप चुनाव लड़ा तो उनकी टीम के अहम सदस्य और मुख्य कर्ताधर्ता थे।उन्होने कैप्टन शर्मा के पेट्रोलियम मंत्री बनने के बाद क्षेत्र में लोगो की काफी मदद की।
श्रीमती सोनिया गांधी जब अमेठी से 1999 में चुनाव लड़ने आई तो चुनाव का पूरा प्रबन्धन श्रीमती प्रियंका गांधी के निर्देशन में श्री शर्मा ने संभाला।चुनाव के बाद कैप्टन शर्मा की सहमति से श्री शर्मा ने सोनिया जी के प्रतिनिधि का दायित्व संभाला।उनके प्रतिनिधि के रूप में वह अभी तक काम कर रहे है। 2019 में रायबरेली मे विपरीत राजनीतिक परिस्थितियों में श्रीमती सोनिया गांधी को मिली जीत में श्री शर्मा की कुशल रणनीति को काफी हद तक जिम्मेदार माना जाता है।
श्री शर्मा के कुशल रणनीतिकार होने का अंदाजा महज इसी से लगाया जा सकता है कि भाजपा की राज्य में सत्ता होने और भाजपा के विधायक मंत्री होने के बावजूद रायबरेली नगरपालिका में कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया।श्री शर्मा 2019 के लोकसभा चुनावों में रायबरेली में ही व्यस्त रहे अन्यथा बहुत से लोगो का मानना था कि अगर वह अमेठी में दो दिन भी समय दिए होते तो परिणाम उलट आ सकते थे।
श्री शर्मा अमेठी के चप्पे चप्पे से अवगत है हर बड़े गांव में किसी न किसी को नाम से जानते है। उन्होने हमेशा लो-प्रोफाइल रहते हुए जो उन तक पहुंचा उसकी मदद की।राहुल के चुनाव हारने के बाद और उनके प्रतिनिधि के हटने के बाद प्रियंका जी के निर्देश पर उनके पास रायबरेली के साथ ही अमेठी का भी अघोषित दायित्व था।इस दौरान भी वह रायबरेली के साथ ही अमेठी के लोगो की मदद में तत्पर रहे।गांधी परिवार के लिए उन्होने पूरा जीवन समर्पित किया।गांधी परिवार और अमेठी रायबरेली को लोगो से जो प्यार स्नेह मिला उसी पर सन्तोष किया और कभी कोई महत्वाकांक्षा नही पाली।
बहुत देर से ही सही आखिरकार गांधी परिवार ने उन्हे अमेठी में अपने हनुमान के रूप में चुनाव मैदान में उतारा है।अमेठी में अधिकांश जानकारों का मानना है कि गांधी परिवार के अलावा अमेठी में केएल शर्मा से दमदार और कोई उम्मीदवार नही हो सकता था।अब अमेठी के मतदाताओं का उन्हे कितना स्नेह और समर्थन मिलता है,वह तो मतगणना के बाद ही पता चलेगा लेकिन यह तो तय है कि मुकाबला अमेठी में जोरदार होगा।
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