Thursday , November 14 2024
Home / खास ख़बर / गोरखपुर: परिवार ने दिया खुला आसमान तो बेटियां उड़ीं हौसलों की उड़ान

गोरखपुर: परिवार ने दिया खुला आसमान तो बेटियां उड़ीं हौसलों की उड़ान

एक वक्त था कि बेटियां बोझ मानीं जाती थीं। उनके पैदा होने पर खुशियां भी नहीं मनाई जातीं थीं। मुस्लिम बच्चियों को शिक्षा ग्रहण नहीं करने दी जाती थी। मगर, अब वक्त और हालात दोनों ही बदल चुके हैं। जहां बेटी-बेटे में फर्क दूर हो गया, वहीं अब मुस्लिम बेटियां भी कंधे से कंधा मिलाकर चलने लगी हैं।

यूपीएससी के साथ ही यूपी बोर्ड एग्जाम के रिजल्ट में भी लड़कियों का जज्बा देखने को मिला है। ऐसा मुमकिन हुआ है उन परिवारों की हिम्मत और भरोसे से, जिन्होंने बेटियों को खुले आसमान में जाने की छूट दी, जिसके बाद बेटियां भी अपने हौसलों से ऊंची उड़ान के साथ कामयाबी की नई इबारत लिखने लगीं हैं।

कैप्टन से मेजर तक का सफर
गोरखपुर आकाशवाणी से सहायक निदेशक के पद से सेवानिवृत्त हुए डॉ. तहसीन अब्बासी और सरकारी स्कूल की प्रिंसिपल रह चुकीं रेहाना अब्बासी की लाडली सारिया अब्बासी देश की शान है। 2017 से कैप्टन पद की जिम्मेदारी संभालने वाली सारिया ने 2024 में मेजर रैंक हासिल कर ली।

कैप्टन मेजर सारिया अब्बासी के पिता डॉ. तहसीन अब्बासी की मानें तो बचपन से ही उन्हें देश के प्रति लगाव था। इंटर के बाद बायोटेक्नोलॉजी से बी-टेक करने के बाद मल्टीनेशनल कंपनीज में जॉब के ढेरों ऑफर ठुकराते हुए उन्होंने आर्मी का रास्ता ही चुना।

ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने सीडीएस की तैयारी शुरू कर दी। सारिया ने कड़ी मेहनत और लगन से सीडीएस की 12 सीटों में भी जगह बना ली। 2017 में सीडीएस का एग्जाम देकर उनका चयन हुआ और उन्हें पहली तैनाती मिली।

इन सात सालों में उनका ज्यादातर समय एलएसी और आसपास में ही बीता और उनकी वहीं तैनाती रही। ड्रोन किलर टीम को उन्होंने लीड भी किया। उनके सपनों को पूरा करने के पीछे उनके माता-पिता ने कोई कमी या रुकावट नहीं आने दी। 10 दिन पूर्व अप्रैल 2024 में ही आर्मी ने सारिया को मेजर का रैंक दिया है तो पिता के पास बधाइयों का तांता लगना शुरू हो गया। सारिया उड़ीसा के गोपालपुर में तैनात हैं।

मां-बाप के सपोर्ट से ऐमन बनीं आईपीएस
खाकी वर्दी पहनने का ख्वाब सजाने और बचपन के दौरान खेल में चोरों के छक्के छुड़ाने वाली ऐमन जमाल का ख्वाब 2019 में हकीकत बन गया। संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में 499 रैंक पाने वाली ऐमन गोरखपुर के खूनीपुर मोहल्ले की रहने वाली हैं।

उनकी प्रारंभिक शिक्षा गोरखपुर के कार्मल स्कूल से हुई। इसके बाद सेंट एंड्रयूज कॉलेज से 2010 में ग्रेजुएशन किया। पिता हसन जमाल जो व्यवसाय से जुड़े हैं और शिक्षिका मां अफरोज बानो ने बेटी की सभी ख्वाहिश पूरी की। ग्रेजुएशन के बाद ऐमन ने जामिया हमदर्द से चलने वाली आवासीय कोचिंग में तैयारी की।

2017 में ऑर्डिनेंस क्लोदिंग फैक्टरी शाहजहांपुर में बतौर सहायक श्रमायुक्त के पद पर तैनात हुईं। इसके बाद भी वह अपने लक्ष्य को नहीं भूलीं और प्रशासनिक दायित्व निभाते हुए अपनी तैयारी जारी रखीं। आखिरकार 2019 में उनका सपना पूरा हो गया और संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में 499 रैंक के साथ ऐमन को आईपीएस कैडर मिला। वर्तमान में वह अवदी, तमिलनाडु में बतौर डीसीपी तैनात हैं।

मां-बाप के त्याग से नौशीन को मिली कामयाबी
यूपीएससी में कामयाबी हासिल कर देश भर में गोरखपुर का डंका बजाने वाली नौशीन आज हर युवाओं की प्रेरणा है। खासतौर पर मुस्लिम लड़कियों के लिए वह आइडियल हो चुकीं हैं। इसके लिए जितना श्रेय उनका है, उतना ही उनके माता-पिता का भी है।

गोरखपुर आकाशवाणी में इंजीनियर रहे अब्दुल कय्यूम और उनकी पत्नी जेबा खातून ने बेटी की कामयाबी के लिए लाखों जतन किए। पिता की मानें तो उन्होंने कभी बेटी के साथ भेदभाव नहीं किया। अच्छी से अच्छी सुविधा देने की कोशिश तो की ही, वहीं जब वह पढ़ती तो घर में उसके पढ़ने के लिए वैसा ही माहौल होता।

नौशीन की पढ़ाई के दौरान घर में न तो टीवी चलता और न ही उसकी एकाग्रता भंग करने वाले दूसरी कोई चीज होने दी जातीं। पिता का कहना है कि उन्होंने बेटी को कभी बेटी नहीं समझा, हमेशा ही एक सदस्य के तौर पर देखा और इसकी परवाह किए बगैर कि लोग क्या कहेंगे, उन्होंने उसकी हर ख्वाहिश और जरूरतें पूरी कीं।

उन्होंने बताया कि फिलहाल सेलेक्शन के बाद वह दिल्ली गईं थीं, जहां जामिया यूनिवर्सिटी की ओर से उन्हें खास यूपीएससी अभ्यर्थियों को गाइड करने के लिए बुलाया गया है।