ज्ञानवापी के लॉर्ड विश्वेश्वरनाथ के मामले में 1000 रुपये हर्जाने के साथ दो रिकॉल आवेदन स्वीकार किया गया है। यह रिकॉल आवेदन 18 मई 2019 और 30 मई 2019 को पारित आदेश के खिलाफ दाखिल किया गया था।
वर्ष 1991 के प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग लॉर्ड विश्वेश्वरनाथ के मामले में शैलेंद्र पाठक और जैनेंद्र पाठक की ओर से दिए दो आदेशों के खिलाफ दाखिल रिकॉल आवेदन को एक हजार रुपये हर्जाने के साथ स्वीकार कर लिया गया। सिविल जज सीनियर डिवीजन / फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रशांत कुमार सिंह की अदालत में यह रिकॉल आवेदन 18 मई 2019 और 30 मई 2019 को पारित आदेश के खिलाफ दाखिल किया गया था।
एक आवेदन में फरवरी 2020 से फरवरी 2022 तक कोरोना महामारी के कारण अदालती कार्य प्रभावित होने के कारण रिकॉल आवेदन विलंब से देने का आधार बताया गया। इसे अदालत ने 500 रुपये हर्जाने के साथ स्वीकार कर लिया।
दूसरा आवेदन मामले के मूल वादी पंडित सोमनाथ व्यास के निधन पर उनके स्थान पर उनके वारिस होने के कारण पक्षकार बनाए जाने का था। इसे अदालत ने बलहीन होने के कारण वर्ष 2019 में खारिज कर दिया था। इसके खिलाफ दाखिल रिकॉल आवेदन में कहा गया कि अधिवक्ता ने कहा था कि पक्षकार बनने पर हाजिर होना होगा। साथ ही पैरवी भी करनी होगी। ऐसे में प्रार्थीगण कोर्ट में हाजिर नहीं हो सके। ऐसे में गुण-दोष के आधार पर पक्षकार बनाए जाने के मुद्दे पर आदेश किया जाए। अदालत ने इस आवेदन को भी 500 रुपये हर्जाने के साथ स्वीकार कर लिया।
अदालत ने पक्षकार बनाए जाने के मुद्दे पर सुनवाई हेतु 10 मई की तिथि नियत कर दी। अदालत में शैलेंद्र व जैनेंद्र की तरफ से अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन, सुभाष नंदन चतुर्वेदी, सुधीर त्रिपाठी व दीपक सिंह और लॉर्ड विश्वेश्वरनाथ की तरफ से वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने पक्ष रखा।
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