
नई दिल्ली 29 जुलाई।राज्यसभा में अधिकारियों की कथित लापरवाही के कारण दिल्ली के एक कोचिंग संस्थान में विद्यार्थियों की मौत की दुखद घटना पर आज हुई अल्पकालिक चर्चा में सदस्यों ने घटना पर दुख व्यक्त किया और दिल्ली सरकार पर सवाल उठाए।
भारतीय जनता पार्टी के डा.सुधांशु त्रिवेदी ने चर्चा के आरंभ में घटना को आपराधिक लापरवाही बताते हुए इस मामले की विस्तृत जांच कराने और जिम्मेदारी तय करने की मांग की। उन्होंने दिल्ली सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि दिल्ली जल बोर्ड का घाटा 74 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया है और बोर्ड पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे हैं। उन्होंने यह भी सवाल किया कि शहर की सरकारी एजेंसियों द्वारा जल निकासी प्रणालियों की सफाई पर कितना पैसा खर्च किया गया था। उन्होंने कहा, इस दुखद घटना पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ओर से कोई टिप्पणी नहीं आयी। श्री त्रिवेदी ने दिल्ली सरकार से मानदंडों का पालन करने वाले कोचिंग केंद्रों की सूची बनाने को कहा।
तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने भी घटना पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने देशभर में विद्यार्थियों की आत्महत्या का मुद्दा भी उठाया। बहस में हस्तक्षेप करते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि इस मामले में लापरवाही हुई है और जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र ने कोचिंग केन्द्रों के नियमन पर इस साल जनवरी में दिशानिर्देश जारी किये थे। श्री प्रधान ने कहा कि अगर इन दिशानिर्देशों को सुनिश्चित किया गया होता, तो ऐसी त्रासदी नहीं होती।
आम आदमी पार्टी की स्वाति मालीवाल ने कहा कि पूरे देश से विद्यार्थी सिविल सेवक बनने की आशा से दिल्ली के कोचिंग केन्द्रों में आते हैं। उन्होंने मांग की कि हालिया घटना के लिए जिम्मेदार सभी लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। सुश्री मालीवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार को प्रत्येक युवक की मौत पर एक करोड़ रुपये मुआवजा देना चाहिए।
इससे पहले, राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि यह मुद्दा देश के होनहार युवाओं, शहरी बुनियादी ढांचे के साथ-साथ शासन के अन्य पहलुओं से संबंधित है। उन्होंने कहा कि कोचिंग व्यवसाय बन गई है और जब भी अखबार खोलते हैं तो पहले एक या दो पन्ने कोचिंग सेंटर के विज्ञापनों के होते हैं।
ऑल इंडिया अन्ना द्रविड मुनेत्र कझगम के एम थंबीदुरई ने मांग की कि कोचिंग केंद्रों को समाप्त किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब सरकार पहले से ही विद्यायलों और महाविद्यालयों में काफी पैसा खर्च कर रही है तो ऐसी कोचिंग केन्द्र की क्या आवश्यकता है।
शिवसेना की प्रियंका चतुवेर्दी ने कहा कि देश में अवसरों की कमी है, जिससे देश के युवाओं को परेशानी हो रही है। उन्होंने देश में बेरोजगारी को ऐसी त्रासदियों का मूल कारण बताया। उन्होंने कोचिंग केंद्रों को लेकर कडे नियम बनाने की मांग की।
समाजवादी पार्टी की जया बच्चन ने कहा कि यह गंभीर मुद्दा है और इसका राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने प्रतिबद्धता के साथ अपना काम नहीं करने के लिए केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग और नई दिल्ली नगर पालिका परिषद जैसी एजेंसियों की आलोचना की।
वाईएसआर कांग्रेस के वी विजयसाई रेड्डी ने कहा कि दिल्ली में कोचिंग केन्द्र मानकों का पालन नहीं कर रहे हैं और बुनियादी ढांचे की कमी है। श्री रेड्डी ने एक निगरानी निकाय गठित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि ऐसे कोचिंग केंद्रों पर प्रतिबंध लगाने या उन्हें विनियमित करने की आवश्यकता है।
आवास और शहरी कार्य मंत्री मनोहर लाल ने चर्चा का जवाब देते हुए युवाओं की मौत को परिवारों और राष्ट्र के लिए अपूरणीय क्षति बताया। उन्होंने कहा कि इस मामले पर निश्चित रूप से जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए। उन्होंने इस त्रासदी के लिए एजेंसियों के ढुलमुल रवैये को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि कोचिंग केंद्र को बेसमेंट से संचालित करने की अनुमति कैसे दी गई। श्री मनोहर लाल ने कहा कि संबंधित एजेंसियों द्वारा समय पर कार्रवाई से युवाओं की जान बचाई जा सकती थी। उन्होंने दिल्ली सरकार पर लापरवाही बरतने और दिल्ली में मानसून से निपटने के लिए पहले से तैयारी नहीं करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार को लोगों के लिए उचित नागरिक सुविधाएं सुनिश्चित करनी चाहिए।
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