दुर्ग जिले के किसानों और भारत सरकार के गेल (इंडिया) लिमिटेड कंपनी के बीच पाइप लाइन बिछाने को लेकर विवाद चला आ रहा था। किसानों का कहना था उन्हें पर्याप्त मुआवजा नहीं दिया गया है। साथ ही खड़ी फसल के बीच खेत की खुदाई कर दी गई है। यह पाइप लाइन बेमेतरा जिले के बेरला तहसील क्षेत्र के विभिन्न गांव से 17 किमी व दुर्ग जिले के धमधा तहसील क्षेत्र से होकर गुजर रही है।
बेमेतरा – दुर्ग जिले के किसानों ने इस समस्या को लेकर पूर्व सीएम भूपेश बघेल के पास शिकायत की थी। शनिवार देर शाम को भूपेश बघेल के भिलाई स्थित कार्यालय में गेल कंपनी व किसानों के बीच बैठक हुई। बैठक में पाइप लाइन बिछाने व किसानों की समस्या को लेकर कई निर्णय लिए गए। इसमें बारिश के तीन महीने यानी अगस्त, सितंबर और अक्टूबर में पाइप लाइन बिछाने के लिए कोई खुदाई नहीं होगी, इस बीच मुआवजा दे दिया जाएगा।
चूंकि भूमि का अधिग्रहण नहीं हो रहा है, इसलिए पाइप लाइन बिछाए जाने वाली भूमि के लिए एक क्षतिपूर्ति मुआवजा दिया जाएगा। मुआवजा दर भूमि अधिग्रहण कानून में तय दर का 40 प्रतिशत होगा। किसानों को दो फसलों का मुआवजा दिया जाएगा। अगर गेल इन शर्तों का पालन नहीं करती है तो किसान किसी भी कीमत पर पाइप लाइन नहीं बिछने देंगे।
गौरतलब है कि गेल को मुंबई से नागपुर होते हुए झारसुगड़ा तक पाइप लाइन बिछानी है। यह पाइप लाइन छत्तीसगढ़ के 11 जिले से गुजरेगी। बेमेतरा-दुर्ग के किसानों के साथ जो आपसी चर्चा से जो समझौता हुआ है, वह सभी 11 जिले में लागू होने की उम्मीद जताई है। बता दे कि किसानों की इस समस्या को लेकर केंद्रीय स्तर पर किसान नेता राकेश टिकैत ने भी ट्वीट किया था।
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