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बहादुर बेटी: पिता को बचाने वाली सुशीला का होगा सम्मान

नारायणपुर के झारागांव में रहने वाले सोमधर कोर्राम के ऊपर पांच अगस्त की रात को कुछ अज्ञात हमलावरों ने कुल्हाड़ी से हमला कर दिया था। इस दौरान वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इस घटना के बाद घर में मौजूद बेटी ने हमलावरों से बिना डरे उनका सामना करने के साथ ही पिता की जान बचाई और आसपास के लोगों की मदद से घायल पिता को अस्पताल में भर्ती कराया, जहां से उनकी स्थिति को देखते हुए मेकाज रेफर किया गया। तीन दिनों तक चले उपचार के बाद घायल ग्रामीण की हालत को देखते हुए गुरुवार को उसे बेहतर उपचार के लिए रायपुर रेफर कर दिया गया।

मेकाज के डॉक्टरों ने बताया कि घायल सोमधर कोर्राम के छाती में कुल्हाड़ी लगने के बाद घाव बन गया है। यहां दूरबीन पद्धति नहीं होने के साथ ही पर्याप्त उपकरणों की कमी के चलते उसे रायपुर के मेकाहारा हॉस्पिटल रेफर किया जा रहा है। रायपुर जाने के बाद वहां पर इसके पिता का ऑपरेशन होने के साथ ही अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध हो जाएंगी, जिसके कारण पिता को बेहतर इलाज मिल सकता है।

नर्स बनना चाहती हैं सुशीला
घायल ग्रामीण सोमधर कोर्राम की 17 वर्षीय बेटी 8वीं तक पढ़ी है, लेकिन स्थिति ठीक नहीं होने के कारण पढ़ाई को छोड़ दी है। सुशीला का कहना है कि अगर आने वाले समय में उसे पढ़ाया जाता है तो वह आगे चलकर एक स्टाफ नर्स बनना चाहती हैं, जिससे कि वह बस्तर अंचल के ग्रामीणों की सेवा कर सकें।

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बहादुर बेटी के नाम से फेमस सुशीला ने बताया कि उसके रिश्तेदारों से लेकर दोस्त व समाचार के माध्यम से उसे पता चला कि उसकी बहादुरी के चलते राज्यपाल रमेन डेका ने उसकी बहादुरी का सम्मान करने की बात कही है। अगर उसे बुलाया जाता है तो वह राज्यपाल से आगे की पढ़ाई करने का अनुरोध करने की इच्छा जताने की बात कही है।

क्यों किया जा रहा है सुशीला का सम्मान
पांच अगस्त को चार मोटरसाइकिल पर सवार आठ नकाबधारी सुशीला के घर झारागांव पहुंचे, जहां उसके पिता के सीने पर कुल्हाड़ी से हमला करते हुए जान से मारने की कोशिश की। आठ बदमाशों को देखने के बाद भी सुशीला ने अपनी हिम्मत नही हारी और पिता को हमलावरों से बचाते हुए उसे दूसरे कमरे में छिपाया और हाथ में पकड़े कुल्हाड़ी को छीनकर आरोपियों को भगाने के साथ ही पिता को सुरक्षित हॉस्पिटल भी भिजवाया।