Tuesday , October 15 2024
Home / जीवनशैली / धरती पर ही जन्नत की सैर कराता है Kalka Shimla Railway

धरती पर ही जन्नत की सैर कराता है Kalka Shimla Railway

आज यानी 27 सितंबर का दिन World Tourism Day के तौर पर मनाया जा रहा है। यह दिन हर साल पर्यटन को बढ़ावा देने के मकसद से मनाया जाता है। घूमना-फिरना कई लोगों का शौक होता है। इससे न सिर्फ कई सारे अनुभव और खूबसूरत यादें मिलती हैं, बल्कि इससे हमारी मेंटल हेल्थ भी बेहतर होती है। साथ ही टूरिज्म की मदद से अर्थव्यवस्था को बनाए रखने में भी मदद मिलती है। बात जब भी घूमने की आती है, तो लोगों के मन में सबसे पहले विदेश घूमने का भी विचार आता है, लेकिन पर्यटन के लिहाज से भारत भी दुनियाभर में काफी मशहूर है।

यहां कई ऐसी खूबसूरत जगह हैं, जहां लोग दूर-दूर से घूमने आते हैं। यहां के सिर्फ शहर ही खूबसूरत नहीं है, बल्कि यहां मौजूद कई सारे रेलमार्ग भी बेहद खूबसूरत हैं। ऐसे में आर विश्व पर्यटन दिवस के मौके पर आज हम आपको भारत के इन्हीं खूबसूरत रेलमार्गों में से एक कालका शिमला रेलवे के बारे में बताने वाले हैं, जिसका अनुभव आपको जीवन में एक बार जरूर लेना चाहिए।

भारत का सबसे लंबा रेलमार्ग

भारत के सबसे लंबे रेलवे मार्ग में से एक है, जिसकी ऊंचाई 2000 मीटर से ज्यादा है। इस खूबसूरत रेल मार्ग की शुरुआत साल 1903 में की गई थी, जिसका मुख्य काम ब्रिटिश भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी शिमला को उत्तरी मैदानों से जोड़ने का था। यह करीब 96.60 किलोमीटर लंबा सिंगल ट्रैक है, जिसे 19वीं शताब्दी के मध्य में शिमला के पहाड़ी शहर के लिए बनाया गया था। खास बात यह है कि इस पूरे ट्रैक के बीच में 100 से ज्यादा गुफाएं मौजूद है।

गिनीज बुक में शामिल है नाम

इतना ही नहीं यह मार्ग करीब 800 पुलों और क्रॉसओवर से होकर गुजरता है। साथ ही यहां 96 कि.मी. की खड़ी चढ़ाई भी है। अपनी इन्हीं खूबियों और खूबसूरती के लिए कालका शिमला रेलमार्ग का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी दर्ज है। अंग्रेजों के शासन के दौरान इन रेलमार्ग को भारतीय राष्ट्रीय रेलवे का ‘हीरे का ताज’ माना जाता था। यही नहीं साल 2008 जुलाई में यूनेस्को ने भारत के इस खूबसूरत रेलमार्गों में से एक को विश्व विरासत का दर्जा दिया ।

इस वजह से जरूर करें एक्सप्लोर

इस रेलमार्ग से सफर करने के लिए 20 स्टेशन से होकर गुजरना पड़ता है। इस ट्रैक के बीच पड़ने वाले ये स्टेशन बेहद मनमोहक होते हैं और देवदार, चीड़, अंजीर, ओक और मेपल के पेड़ों के बीच से होकर निकलती ट्रेन में सफर का अपना अलग ही मजा और अनुभव होता है। यहां पर चलने वाली ट्रेन की रफ्तार 25 किलोमीटर प्रति घंटा होती है, जिसमें लगभग 7 कोच लगे होते हैं।