दिल्ली-एनसीआर की आवाजाही में ढेरों दुश्वारियां हैं। दिल्ली में रिंग रेल रेलवे का वायदों के ट्रैक पर दौड़ रही है। वहीं, एनसीआर से दिल्ली को जोड़ने वाली महानगरीय रेल सेवाएं व बस भी बेपटरी हैं। नतीजतन लोगों को मेट्रो या अपने वाहन पर निर्भर रहना पड़ता है। लेकिन परिवहन के एक साधन से दूसरे पर शिफ्ट होते ही खर्च बेहिसाब बढ़ जाता है। वहीं, घंटों का जाम भी परेशानियां बढ़ाता नजर आता है।
रेल सुविधा न होने से किराये की बेहिसाब मार
रेलवे मासिक पास 185 रुपये में देता है। दिल्ली से गाजियाबाद तक के हर दिन की सफर का खर्च महज 10 रुपया पड़ता है। महीने का पास लेते हैं तो प्रतिदिन पांच-सात रुपये ही लगते हैं। लेकिन ट्रेन की उपलब्धता कम होने से यात्री ज्यादा खर्च कर मेट्रो या कैब सेवा लेते हैं। कनॉट प्लेस से गाजियाबाद का मेट्रो का एक तरफ का किराया 50 रुपया है। वहीं, टोल लगने से कैब का खर्च 400-600 रुपये बैठता है। साफ है कि रेल से सड़क पर शिफ्ट होते ही किराया बेहिसाब बढ़ जाता है। निजी वाहन के साथ मेट्रो से चलना भी तुलनात्मक रूप से महंगा पड़ता है।
10 रुपये है रिंग रेल का अधिकतम किराया
दिल्ली में रिंग रेल का किराया अधिकतम दस रुपये है। इसमें दुर्घटना की आशंका भी न्यूनतम है। इन खूबियों के बावजूद रिंग रेलवे फिलवक्त बेपटरी है। भारतीय रेलवे व दिल्ली सरकार के बीच के फासले से लो कास्ट ट्रेन को फास्ट ट्रैक नहीं मिल सका है। इस वक्त ट्रैक पर सिर्फ मालगाड़ियां चल रही हैं। अड़चन महानगरीय रेल सेवाओं के साथ भी है। डेमू, मेमू, इंटरसिटी तो चलती है, लेकिन यह भी नाकाफी है।
रिंग रेल का नेटवर्क
एशियाड (1982) के दौरान शुरू हुई थी रिंग रेल। दिल्ली के फैलाव के इस रेलवे लाइन का दायरा भले ही छोटा दिखता हो लेकिन शहर के प्रमुख स्टेशनों व इलाकों को इससे जोड़ा जा सकता है।
दक्षिणी दिल्ली के स्टेशन
लाजपत नगर, सेवा नगर, लोधी कॉलोनी, सरोजनी नगर हाल्ट, सफदरजंग, चाणक्यपुरी हॉल्ट, सरदार पटेल मार्ग हॉल्ट, बरार स्क्वायर, दिल्ली इंद्रलोक हॉल्ट, नारायणा विहार हॉल्ट, कृति नगर हाल्ट, नारायणा विहार हॉल्ट।
उत्तरी दिल्ली व सेंट्रल दिल्ली के स्टेशन
निजामुद्दीन, प्रगति मैदान, तिलक ब्रिज, शिवाजी ब्रिज, नई दिल्ली, सदर बाजार, दिल्ली किशनगंज, विवेकानंद पूरी, दया बस्ती और शकूरबस्ती।
दैनिक यात्री बोले
ट्रेन सफर करना सही मायने में काफी किफायती है। इसमें समस्या यह है कि यह समय पर नहीं मिलती। वहीं, लेटलतीफी भी आम है। इससे हमें परेशानी उठानी पड़ती है। मुंबई की तर्ज पर महानगरीय ट्रेन की सुविधा मिलने से आवाजाही आसान होगी। -राहुल नागर
ट्रेन का सफर बेशक सस्ता है, लेकिन नौकरी पेशा आरामदायक सफर करना चाहते हैं। लोकल ट्रेन मुंबई में एसी वाली भी चलती है। एनसीआर में ऐसी पैसेंजर ट्रेन नहीं है। इससे लोग सस्ती ट्रेन की सवारी छोड़ मेट्रो से सफर करते है। -योगेश सोलंकी
स्टेशन पर पता चलता है कि उनकी ट्रेन लेट है। वहीं, एनसीआर के किसी भी क्षेत्र से जब पैसेंजर ट्रेन दिल्ली के स्टेशन पर पहुंचने वाली होती है तो आउटर पर भी रोक दिया जाता है। इससे घंटों ट्रेन में परेशान होना पड़ता है। अंतरराज्यीय बस अड्डे तो हैं, लेकिन वहां बस ही नदारद रहती है। -अशोक शर्मा
एनसीआर की सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था बिलकुल लचर स्थिति में है। रिंग रेल पर ट्रेन नहीं चलती तो सड़क डीटीसी बसों का टोटा है। मेट्रो की कनेक्टिविटी तो अच्छी है लेकिन आम लोगों की सवारी नहीं है। महानगरीय सुविधा से एनसीआर के लोग वंचित है। -संजीव नागर
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