हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री व वर्तमान केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने पीएम नरेंद्र मोदी से हरियाणा के लिए चंडीगढ़ में अलग हाईकोर्ट की मांग की थी। उन्होंने यह मांग नई दिल्ली में मुख्यमंत्रियों, न्यायाधीशों के सम्मेलन में रखी थी।
पंजाब और हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ में अलग हाईकोर्ट की बाट जोह रहे हरियाणा को बड़ा झटका लगा है। हरियाणा सरकार के प्रस्ताव पर पंजाब सरकार ने पूरी तरह से असहमति जताई है। वहीं, पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट की फुल कोर्ट (पूर्ण न्यायालय बैठक) में भी नतीजा नहीं निकलने पर कोई राय नहीं दी गई। हाईकोर्ट की फुल कोर्ट में न्यायालय से सभी जस्टिस शामिल होकर किसी मुद्दे पर आपसी सहमति के बाद अपना विचार प्रस्तुत करते हैं। फिलहाल, हरियाणा सरकार का अपना अलग हाईकोर्ट का प्रस्ताव टल गया है। यह खुलासा खुद केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में किया है।
अंबाला से कांग्रेस के लोकसभा सांसद वरुण चौधरी ने अलग हाईकोर्ट को लेकर सवाल पूछा था। सांसद ने पूछा, क्या केंद्र सरकार के पास हरियाणा के लिए अलग से हाईकोर्ट स्थापित करने का कोई प्रस्ताव है, अगर प्रस्ताव है तो हरियाणा की अलग उच्च न्यायालय स्थापित करने की समय सीमा क्या है। वहीं, अगर ऐसा प्रस्ताव नहीं है तो इसका क्या कारण है। जवाब में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि हरियाणा सरकार ने चंडीगढ़ में राज्य के लिए एक अलग से हाईकोर्ट की स्थापना के लिए अनुरोध किया था। मामले में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट और पंजाब सरकार का विचार मांगा गया था। लेकिन अब हरियाणा के लिए अलग हाईकोर्ट स्थापित करने का प्रस्ताव टल गया है।
मनोहर लाल ने की थी अलग से हाईकोर्ट की मांग
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री व वर्तमान केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने पीएम नरेंद्र मोदी से हरियाणा के लिए चंडीगढ़ में अलग हाईकोर्ट की मांग की थी। उन्होंने यह मांग नई दिल्ली में मुख्यमंत्रियों, न्यायाधीशों के सम्मेलन में रखी थी। उन्होंने मुद्दे में कहा कि संविधान के अनुच्छेद 214 में साफ है कि प्रत्येक राज्य का अलग हाईकोर्ट होना चाहिए। उन राज्यों में भी अलग उच्च न्यायालय है, जो पिछले कुछ दशक में बने हैं। उन्होंने कहा कि सिक्किम, त्रिपुरा, मणिपुर और मेघालय में भी अलग उच्च न्यायालय है।
एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल का गठन का मामला विचाराधीन
2019 में हरियाणा एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल का गठन किया था। तब वकील इसके विरोध में आ गए थे और लंबी हड़ताल चली थी। उच्च न्यायालय ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए ट्रिब्यूनल के गठन पर रोक लगा दी थी। तब से ही उच्च न्यायालय में मामला विचाराधीन है और ट्रिब्यूनल का गठन नहीं हो पाया है। ट्रिब्यूनल के पास हरियाणा से जुड़े कर्मचारियों की सेवाओं के मामले जाने थे।
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