रायपुर 09 जनवरी।छत्तीसगढ़ सरकार ने बस्तर जिले के लोहाण्डीगुड़ा क्षेत्र के 1707 भू-विस्थापित आदिवासी किसान परिवारों उनकी लगभग 4400 एकड़ (चार हजार चार सौ एकड़) भूमि वापस देने की प्रक्रिया निर्धारित करते हुए आज विधिवत आदेश जारी कर दिया।यह जमीन लगभग एक दशक पहले वहां टाटा के वृहद इस्पात संयंत्र के लिए अधिग्रहित की गयी थी।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद की गत 25 दिसम्बर को हुई बैठक में यह भूमि किसानों को वापस करने का सैद्धांतिक निर्णय लिया गया था। इस पर अमल करते हुए राजस्व विभाग द्वारा आज कलेक्टर बस्तर (जगदलपुर) को परिपत्र जारी कर दिया गया।
परिपत्र में लोहाण्डीगुड़ा तहसील के दस गांवों के 1707 खातेदारों की कुल 1764.61 हेक्टेयर अर्थात लगभग चार हजार 400 एकड़ से कुछ अधिक भूमि वापस करने के लिए प्रक्रिया तय कर दी गई है। जिन गांवों के किसानों को उनकी भूमि वापस मिलेगी, उनमें बड़ांजी, बड़ेपरोदा, बेलर, बेलियापाल, छिन्दगांव, दाबपाल, धुरागांव, कुम्हली, सिरिसगुड़ा और टाकरागुड़ा शामिल हैं।
इन गांवों में अधिग्रहित निजी भूमि संबंधित भूमि स्वामियों अथवा उनके कानूनी उत्तराधिकारियों को वापस करने के लिए भूमि-अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्व्यस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम 2013 की धारा 101 के प्रावधानों के अनुसार प्रक्रिया पूरी की जाएगी। देश में अपनी तरह का शायद यह पहला मामला है, जिसमें 1700 से ज्यादा आदिवासी परिवारों को भूमि अधिग्रहण के बाद उनकी जमीन वापस की जा रही है।