तख्त श्री दमदमा साहिब के पूर्व जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह को हटाने को लेकर श्री अकाल तख्त साहिब व शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के बीच टकराव गहरा गया है। दोनों संस्थान पंथक मुद्दों को लेकर आमने-सामने आ गए हैं। वहीं, एसजीपीसी व श्री अकाल तख्त साहिब के मध्य पैदा हुए पंथक टकराव के चलते सिख संगत में भी भारी रोष है।
आज तक यही चर्चा रही है कि श्री अकाल तख्त साहिब व अन्य तख्त साहिबों के जत्थेदारों की नियुक्त व सेवा मुक्ति को लेकर एसजीपीसी के पास कोई अधिकार नहीं है। सिर्फ श्री हरिमंदिर साहिब के मुख्य ग्रंथी व अन्य ग्रंथियों को लेकर ही एसजीपीसी नियुक्त व हटाने का अधिकार रखती है, लेकिन एसजीपीसी की कार्यकारिणी के सदस्यों ने ज्ञानी रघुबीर सिंह के साथ शुक्रवार को मुलाकात करके कहा कि एसजीपीसी जत्थेदारों को हटा सकती है और नियुक्त करने का अधिकार रखती है। वहीं, जत्थेदार के संदेश व बयान सर्वव्यापक नहीं है। एसजीपीसी जत्थेदारों के मामले की जांच का अधिकार भी रखती है।
एसजीपीसी की कार्यकारिणी के सदस्यों की इस बात पर जत्थेदार अकाल तख्त ज्ञानी रघबीर सिंह ने काफी बुरा माना और प्रेस कांफ्रेस करके एसजीपीसी की कार्यकारिणी के सदस्यों की ओर से उनको कही गई बातों का खुलासा भी किया है। जिस के चलते सिख संगत में अकाली नेतृत्व के साथ साथ एसजीपीसी पर काबिज ग्रुप के खिलाफ रोष बढ़ गया है।
सदस्यों के खिलाफ आम लोगों में रोष
शुरू से लेकर आज तक यही आवाज उठती आई है कि एसजीपीसी मनमानी करते हुए अपने प्रबंधों अधीन आते तीन तख्त साहिबों के जत्थेदारों को मर्जी से नियुक्त करती है और मर्जी से पदों से हटा देती है। इसलिए तख्त साहिबों के जत्थेदारों की नियुक्त और रिटायरमेंट संबंधी नियम बनाए जाने चाहिए। आज तक इस पर एसजीपीसी ने तो कोई नियम बनाए और न ही आज तक यह सार्वजनिक किया है कि गुरुद्वारा एक्ट के अनुसार एसजीपीसी जत्थेदार को हटाने और नियुक्त करने का अधिकार रखती है। जिस को लेकर सोशल मीडिया पर एसजीपीसी के कार्यकारिणी कमेटी के सदस्यों के खिलाफ आम लोगों का रोष खुल कर सामने आना शुरू हो गया है। अगर यह लगातार जारी रहा तो आने वाले दिनों में एसजीपीसी और तख्त साहिबों के जत्थेदारों के मध्य टकराव और अधिक बढ़ जाएगा।
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