रहमान खेड़ा जंगल में 90 दिनों से चहल कदमी कर रहे बाघ को वन विभाग की टीम ने बुधवार शाम सफलतापूर्वक रेस्क्यू कर लिया है। यह बाघ आसपास के 60 गांवों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बना हुआ था और अब तक यह 25 से अधिक शिकार कर चुका था। बताया जा रहा है कि बेंगलुरु से आए डॉक्टर की मदद से बाघ को ट्रेंकुलाइज करने में टीम सफल रही है।
बाघ को पकड़ने में 80 लाख रुपए से अधिक का खर्च
बता दें कि काकोरी के रहमान खेड़ा संग 4 दर्जन से अधिक गांवों में 90 दिन से लोग दहशत के साए में जी रहे थे। बाघ की दहशत के चलते बच्चों और महिलाओं ने घरों से निकलना बंद कर दिया था। इतना ही नहीं पुरुष भी समूह में ही घर से बाहर निकलते थे।
वन विभाग के 100 से अधिक अधिकारी और कर्मचारी 90 दिन के मैराथन प्रयास के बाद बुधवार शाम बाघ को ट्रांकुलाइज कर पिंजरे में कैद कर लिया। इस बाघ को पकड़ने में 80 लाख रुपए से अधिक का खर्च आया और बाघ ने यहां प्रवास के दौरान 25 से अधिक मवेशियों को अपना शिकार बनाया। स्थानीय लोग इस बाध को करोड़पति बाघ राजा भी कहने लगे थे।
वन विभाग की टीम ने हाईटेक सिस्टम का किया उपयोग
गौरतलब है कि वन विभाग की टीम पिछले कई दिनों से बाघ पर नजर रख रही थी। लंबे समय से चकमा दे रहे बाघ को पकड़ने के लिए इस बार वन विभाग की टीम ने हाईटेक सिस्टम का यूज किया। कैमरा ट्रैप, ड्रोन और स्थानीय ग्रामीणों की सूचनाओं के आधार पर उसका मूवमेंट ट्रैक किया गया।
कई बार उसे सुरक्षित पकड़ने की कोशिश की गई, लेकिन वह बच निकलता था। अंततः विशेषज्ञों की मदद से उसे ट्रेंकुलाइज कर लिया गया। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, बाघ का पूरा मेडिकल चेकअप किया जाएगा। यदि वह स्वस्थ पाया जाता है, तो उसे किसी सुरक्षित जंगल या टाइगर रिजर्व में छोड़ा जा सकता है। यदि उसकी सेहत ठीक नहीं रहती, तो उसे पुनर्वास केंद्र में रखा जाएगा। वहीं इस अभियान की सफलता से स्थानीय ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है। वन विभाग की टीम का कहना है कि आगे भी ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए इलाके में निगरानी बढ़ाई जाएगी।
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