Wednesday , March 12 2025
Home / ब्रेकिंग न्यूज /  बिना कोचिंग IPS बनीं अंशिका, प्रतिभा ने चुनी चुनौती; पढ़िए नारी शक्ति की सफलता की कहानियां

 बिना कोचिंग IPS बनीं अंशिका, प्रतिभा ने चुनी चुनौती; पढ़िए नारी शक्ति की सफलता की कहानियां

तेरे माथे पे ये आंचल बहुत ही खूब है, लेकिन तू इस आंचल से इक परचम बना लेती तो अच्छा था…मशहूर शायर मजाज लखनवी का ये शेर महिलाओं को हौसला और ताकत देता है। हौसला, ये केवल शब्द नहीं, आधी आबादी को बराबरी का दर्जा और उनका हक दिलाने की कुंजी है। इस शब्द को अपनी जिंदगी में कई महिलाओं ने जीया है। इसीलिए वह आज शिखर पर शोहरत की दास्तां लिख रही हैं। हर क्षेत्र में उन्होंने कामयाबी हासिल की है। वे नित नए कीर्तिमान गढ़ रही हैं। किसी ने सरकारी सेवाओं में चयनित होकर अपनी मेधा का लोहा मनवाया है तो कोई फिल्मी दुनिया में कॅरिअर संवार रहा है। पुरुषों के एकाधिकार को तोड़कर आधुनिक ढंग से किसानी भी महिलाएं कर रही हैं। खेल, कारोबार, शिक्षा व तकनीकी के क्षेत्र में भी उनकी बुलंदी दूसरों के लिए अनुकरणीय है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर आइए जानते हैं उन महिलाओं की सफलता की कहानी जिन्होंने अपने जोश, जज्बे और कुछ कर गुजरने की चाह के साथ विभिन्न क्षेत्रों में सफलता हासिल की है।

मजबूत इरादों संग बिना कोचिंग बनीं आईपीएस
इरादे मजबूत हों तो कोई भी लक्ष्य बड़ा नहीं होता। बिना किसी कोचिंग के खुद तैयारी कर यूपीएससी की परीक्षा पास की। आईपीएस बनीं। यह चुनौती अपनी अडिग इच्छाशक्ति और बुलंद इरादों से वर्तमान में बरेली की एसपी साउथ अंशिका वर्मा ने पूरी की। आईपीएस अधिकारी के रूप में अंशिका न केवल कानून-व्यवस्था को बनाए रखने में अहम भूमिका निभा रही हैं, साथ ही वह समाज में महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तीकरण के लिए भी प्रतिबद्ध हैं।

अंशिका का जन्म तीन जनवरी 1996 को प्रयागराज में हुआ। अंशिका ने इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में बीटेक किया। यूपीएससी में 2021 में 136वीं रैंक हासिल की। उनका कहना है कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए हमेशा से बेहतर करने की कोशिश है। ऐसे अभियान भी शुरू किए, जिससे महिलाओं को आत्मनिर्भर और सुरक्षित बनाया जा सके। अंशिका का मानना है कि अगर महिलाओं को बराबरी का दर्जा देना है, तो उन्हें शिक्षा, आत्मनिर्भरता और सुरक्षा से सशक्त बनाना होगा। अपने बेहतर कामों के लिए उन्हें हाल ही में वीमेन आइकन अवार्ड से दिल्ली में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सम्मानित किया।

प्रतिभा ने चुनी चुनौती
विस्फोटक को तलाशने में अहम भूमिका डॉग और उसके हैंडलर की रहती है। बरेली की बेटी प्रतिभा लाल फाटक क्षेत्र निवासी इस भूमिका को रोमांच और गर्व के साथ निभा रहीं हैं। तीन साल पहले आईटीबीपी में भर्ती हुईं प्रतिभा ने बताया कि उनके पास बेल्जियम शैफर्ड मैलिनोइस डॉग है। इसे उन्होंने ही ट्रेनिंग दी है। एएक्सएल नाम का यह डॉग विस्फोटक के साथ मादक पदार्थ आदि को उसकी गंध से तलाशने की महारत रखता है। इस तरह की विशेषता वाले डॉग की मांग नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के साथ सीमावर्ती क्षेत्रों में होती है। इन इलाकों में पूर्ण रूप से ट्रेनिंग लिए हुए डॉग व उसके हैंडलर को ही भेजा जाता है।

वह अभी चंडीगढ़, बेलगाम, देहरादून और भुवनेश्वर में अपनी प्रतिभा दिखा चुकी हैं। उन्होंने बताया कि महिला होने की वजह से कई बार खतरे वाली जगहों पर उन्हें भेजने में वरिष्ठ हिचकते हैं। उन्हें उम्मीद हैं कि यह इजाजत भी सरकार की ओर जल्द मिलेगी और वह भी देश सेवा के लिए चुनौतीपूर्ण इलाकों में ड्यूटी के लिए जाएंगी।