दिन भर के हारे थके चार मजदूर घर को लौट रहे थे कि इसी बीच अंधेरी राह में पीछे से आई मौत ने उन पर झपट्टा मार दिया। इससे पहले कि कोई उन्हें वहां से उठाता सिस्टम के इस घुप अंधेरे में उनके जीवन की लौ बुझ चुकी थी।
दरअसल जिस जगह हादसा हुआ वहां पर दूर दूर तक रोशनी का कोई नामों निशान नहीं है। मसूरी डाइवर्जन से लेकर राजपुर के तिराहे तक का यह रास्ता पुराने पेड़ों से ढका है। इनसे दुबकाकर कुछ स्ट्रीट लाइट भी लगी हैं। मगर महीनों से इनमें से किसी में रोशनी का प्रस्फुटन नहीं होता है।
सड़क किनारे बने बंगले और व्यापारिक प्रतिष्ठानों के बाहर टंगे कुछ बल्ब ही इस जगह रास्तों का अंदाजा लगाने का प्रयास करते हैं। अब यहां पर अंधेरा क्यों है इसका जवाब रात तक तो किसी के पास नहीं था।
हालांकि , इतने बड़े हादसे के बाद क्या कारगुज़ारी रोशनी को। लेकर होती है। यह आने वाला वक्त ही बताएगा।
कार की गति ज्यादा थी यह इसके परिणामों से पता चल रही है। मगर चालक को सड़क किनारे क्यों क्या कुछ नहीं दिखा इसमें अंधेरे का भी बहुत बड़ा रोल माना जा रहा है।
सड़क किनारे चल रहे लोगों का चालक को पता नहीं चला या फिर सब नशे थे इस बात का भी पता चालक के पकड़े जाने के बाद चल सकेगा।
जिस जगह हादसा हुआ वह दुर्घटना संभावित क्षेत्र है इसकी बाकायदा एक तख्ती भी सड़क किनारे लगी है। लेकिन ये तख्ती रोशनी हो तो किसी को दिखे। ठीक इसी तख्ती के सामने यह हादसा हुआ। नियमानुसार अब यह स्थान ब्लैक स्पॉट के तौर पर घोषित हो जाएगा। लेकिन इसका सुधार कब होगा और कितनी जान इसमें जाएंगी यह भी आने वाला वक्त तय करेगा।
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