यूपी भाजपा के जिलाध्याक्षों में रविवार को 70 नामों की घोषणा हो गई है। पार्टी ने जिलाध्यक्ष बनाने में जाति और सामाजिक समीकरणों का ध्यान रखा है।
प्रदेश के सांगठनिक चुनाव के जरिए भाजपा ने 2027 में होने वाले विधानसभा के रण के साथ ही इससे पहले होने वाले पंचायत और स्थानीय निकाय चुनावों के लिए सियासी चौसर बिछा दी है। जिलाध्यक्षों की पहली सूची में भाजपा ने जिस तरह से पिछड़ी और अनुसूचित जाति के साथ ही सामान्य वर्ग के करीब सभी जातियों को शामिल कर जातीय समीकरण का गुलदस्ता तैयार किया है, उससे साफ हो गया है कि आगे होने वाले सभी चुनावों में भाजपा इसी जातीय समीकरणों के बल पर सियासी जंग में विपक्ष को मात देने की जमीन तैयार करेगी।
हालांकि भाजपा ने अभी तो पहली सूची ही जारी की है। इसी सूची से यह भी स्पष्ट हो गया है कि भाजपा के रणनीतिकारों ने जिलाध्यक्षों के चयन में सभी वर्ग को प्रतिनिधित्व देकर पीडीए की उपेक्षा को लेकर विपक्ष द्वारा उठाए जा रहे सवालों का भी जवाब देने की कोशिश की है। माना जा रहा है कि भाजपा ने 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पिछड़ों और सामान्य जाति के लोगों को लेकर सामंजस्य बिठाने की कोशिश की है।
दरअसल भाजपा के जिलाध्यक्षों की सूची जारी करने में देर होने के भले ही तमाम कारण गिनाए जा रहे हैं, लेकिन इन कारणों के अलावा संगठन में सभी जातियों का समीकरण बिठाना सबसे बड़ी वजह थी। भाजपा के रणनीतिकारों ने लंबे समय तक एक-एक जिले के सामाजिक और जातीय समीकरणों का अध्ययन करके जिस तरह से नामों का चयन किया है।
उच्च स्तर से हरी झंडी मिलने के बाद प्रदेश संगठन मंत्री धर्मपाल ने जिस तरह से एक-एक सूची की परीक्षण करने के बाद ही नाम को अंतिम रुप दिया है। इसके पीछे सिर्फ एक ही मंशा है कि पंचायत चुनाव से लेकर आगामी विधानसभा चुनाव तक के लिए विपक्ष के खिलाफ एक ऐसी घेराबंदी तैयार की जाए, जिससे जीत की राह को आसान किया जा सके।
संगठन मंत्री के नेतृत्व में जिस तरह से जिलाध्यक्षों की सूची में जातीय समीकरण को साधने का प्रयास किया गया है, उसे देखकर यह माना जा रहा है कि पार्टी इसी समीकरण के बल पर आगामी दिनों में स्थानीय पंचायतों के चुनाव लेकर विधानसभा के चुनाव तक के राजनीतिक समीकरण को साधने की कोशिश करेगी।
पांच महिलाओं में भी रखा जातीय समीकरण का ख्याल
सूत्रों की माने तो 70 जिलाध्यक्षों की पहली सूची में भले ही पांच महिलाओं को ही स्थान मिल पाया है, लेकिन इसमें भी जातीय समीकरण का विशेष ख्याल रखा गया है। जिलाध्यक्ष बनाई गई महिलाओं में भी जातीय समीकरण को तरजीह दी गई है। इनमें भी कुर्मी-1, पासी-1, क्षत्रिय-1 तेली-1 लोधी-1 और जाति की महिलाएं शामिल की गई हैं।
ऐसे साधा जातीय समीकरण
सवर्ण वर्ग (39) -19 ब्राह्मण, 10 ठाकुर, 3 कायस्थ, 2 भूमिहार, 4 वैश्य एवं 1 पंजाबी
पिछड़ा वर्ग (25)- यादव-1, बढ़ई-1, कश्यप-1, कुशवाहा-1, पाल-1, राजभर-1, सैनी-1, तेली-1, भुर्जी-1, पिछडा वैश्य 1- कुर्मी-5, मौर्य-2, पिछडा वैश्य-3, लोध-2, जाट-2 गुर्जर-1
अनुसूचित वर्ग (6)- धोबी, कठेरिया, कोरी 1-1 और 3 पासी
ऐसे तैयार किया जातियों का गुलदस्ता
माना जा रहा है कि संगठन का यह स्वरूप अगले साल प्रस्तावित पंचायत चुनाव और उसके बाद होने वाले विधान सभा चुनावों के लिए अहम होगा। इसको ध्यान में रखते हुए भाजपा ने संगठन में हर वर्ग को उचित प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की है। भाजपा की मंशा थी कि वह अपने संगठन में ओबीसी और एससी वर्ग का प्रतिनिधित्व बढ़ाकर विपक्ष के पीडीए के नारे की काट भी निकाले।
70 अध्यक्षों की सूची में भाजपा ने 25 ओबीसी और 6 एससी वर्ग के अध्यक्षों को जगह दी है। महिलाओं की संख्या भी 5 है। जबकि पिछली बार 98 में सिर्फ 4 महिलाएं ही थीं। अभी 28 नामों की घोषणा होनी हैं। इनमें भी ओबीसी, एससी और महिलाओं को प्राथमिकता दी जाएगी।
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