बदायूं: उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले की एक अदालत में नीलकंठ महादेव बनाम जामा मस्जिद मामले की अगली सुनवाई दो अप्रैल को होगी। सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट्रेक कोर्ट की अदालत में चल रहे नीलकंठ महादेव मंदिर बनाम जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी के मुकदमे में आज शमसी जमा मस्जिद इंसानियत कमेटी के अधिवक्ता अनवर आलम ने कोर्ट को प्रार्थना पत्र दिया जिसमें कहा गया कि उच्चतम न्यायालय का स्पष्ट आदेश है कि निचली अदालत इस मामले में कोई भी सुनवाई नहीं कर सकती है जिसके चलते सुनवाई टल गई है। अब अगली सुनवाई के लिए 02 अप्रेल की तारीख निर्धारित की गई है।
उल्लेखनीय है कि 11 फरवरी को अदालत द्वारा बार-बार बुलाए जाने के बावजूद भी इंतजामिया कमेटी पक्ष के अधिवक्ता के पेश ना होने की वजह से फास्ट ट्रैक कोर्ट के न्यायाधीश अमित कुमार ने मुस्लिम पक्ष को अंतिम अवसर देते हुए 19 फ़रवरी अगली तारीख लगाई थी, लेकिन अधिवक्ताओं की हड़ताल के चलते मामले की सुनवाई एक बार फिर टल गई है। न्यायाधीश अमित कुमार ने 10 मार्च की तारीख दी थी, लेकिन 10 मार्च को न्यायाधीश के अवकाश पर होने के कारण आज 20 तारीख निर्धारित की गई थी।
‘अधिवक्ता जानबूझकर मामले को लंबा खींचने का प्रयास कर रहे’
हिंदू पक्ष की अधिवक्ता वेद प्रकाश साहू ने बताया कि शमसी जमा मस्जिद इंतजामिया कमेटी के अधिवक्ता अनवर आलम द्वारा कोर्ट में उपस्थित होकर प्रार्थना पत्र दिया गया, जिसमें उल्लेख किया गया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत निचली अदालत इस तरह के मामलों में कोई भी निर्णय नहीं ले सकती हैं, जिसके चलते अपर सिविल जज सीनियर डिवीजन अमित कुमार ने दो अप्रैल की तारीख निर्धारित की है।
उन्होंने कहा ‘‘ हम उच्चतम न्यायालय के आदेश का सम्मान करते हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय देने से मना किया है सुनवाई पर रोक लगाने संबंधित कोई भी आदेश नहीं दिया गया है। मुस्लिम पक्ष की बहस होने के पश्चात ही हिंदू पक्ष अपनी बहस करेगा।” उन्होंने आरोप लगाया कि इंतजामिया कमेटी के अधिवक्ता जानबूझकर मामले को लंबा खींचने का प्रयास कर रहे हैं और बार-बार किसी न किसी बहाने से टाल मटोल कर तारीख ले लेते हैं।
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