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छत्तीसगढ़ के हथकरघा वस्त्रों की भी देश में पहचान बनाने का होगा प्रयास-भूपेश

रायपुर 04 फरवरी।मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि बनारस,ओडि़शा और कोलकाता की साडि़यों की जैसी पहचान हैं, वैसी ही पहचान छत्तीसगढ़ के हथकरघा वस्त्रों की भी देश में बननी चाहिए।

श्री बघेल ने आज राजधानी के रावणभाटा मैदान में राष्ट्रीय हाथकरघा प्रदर्शनी (नेशनल हैण्डलूम एक्सपो) का शुभारंभ करते हुए कहा कि जांजगीर-चांपा, रायगढ़, कोरबा, दुर्ग, राजनांदगांव और बस्तर सहित प्रदेश के अनेक जिलों में हमारे बुनकरों द्वारा हाथ करघा वस्त्र तैयार किए जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ में हजारों लोगों को यह क्षेत्र रोजगार देता है। हाथकरघा वस्त्रों को पहनने में आत्मीयता का बोध होता है। उन्होंने ग्रामोद्योग विभाग के अधिकारियों को छत्तीसगढ़ के बुनकरों को आधुनिक डिजाइनों का प्रशिक्षण देने के लिए अच्छे से अच्छे डिजाइनरों की सेवाएं लेने के निर्देश दिए।

उन्होंने कहा कि स्कूलों में बच्चों के गणवेश तैयार करने और सरकारी दफ्तरों में हाथ करघा वस्त्रों का उपयोग किया जा रहा है। श्री बघेल ने इस प्रदर्शनी में शामिल सभी बुनकरों का स्वागत करते हुए कहा कि राज्य सरकार हाथकरघा कुटीर उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए हर संभव प्रयास करेगी। उन्होंने राजधानी वासियों से 21 फरवरी तक चलने वाली इस राष्ट्रीय प्रदर्शनी में आने का आग्रह किया। इस प्रदर्शनी में छत्तीसगढ़ सहित देश भर के हाथ करघा वस्त्रों की वेरायटी मिलेगी। लोगों की भागीदारी से बुनकरों को प्रोत्साहन मिलेगा।

इस हैण्डलूम एक्सपो में छत्तीसगढ़ की 30 तथा उत्तरप्रदेश, जम्मू कश्मीर, हरियाणा, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और बिहार की 31 हाथकरघा संस्थाएं हिस्सा ले रही हैं। एक्सपो में छत्तीसगढ़ की कोसा साडि़यां, हाथकरघा वस्त्र, बेडशीट, मध्यप्रदेश की चंदेरी और महेश्वरी साडि़यां, बनारसी साडि़यां, कश्मीर का पश्मीना शॉल, पश्चिम बंगाल की काथा और तात साडि़यां प्रदर्शनी और विक्रय के लिए रखी गई हैं।प्रदर्शनी के उद्घाटन के बाद मुख्यमंत्री ने प्रदर्शनी के स्टालों का अवलोकन भी किया।