मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने स्वीकार किया कि यमुना की सफाई एक लंबा और चुनौतीपूर्ण काम है, लेकिन उन्होंने यह भी दावा किया कि उनकी सरकार ने इसे गंभीरता से लिया है।
यमुना सफाई में गंभीरता दिखाते हुए दिल्ली सरकार ने सभी नालों की ड्रोन से निगरानी कराने का निर्णय लिया है। इसके अलावा 40 विकेन्द्रीकृत एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) को मंजूरी दे दी है। इन पर 4000 करोड़ रुपये की लागत से काम शुरू हो गया है। इसके अलावा मौजूदा एसटीपी को भी पुनर्जीवित किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने स्वीकार किया कि यमुना की सफाई एक लंबा और चुनौतीपूर्ण काम है, लेकिन उन्होंने यह भी दावा किया कि उनकी सरकार ने इसे गंभीरता से लिया है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि यमुना में गिरने वाले प्रदूषित नालों की पहचान और उनके उपचार के लिए ड्रोन जैसी आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल शुरू हो गया है। इससे यह पता लगाया जा रहा है कि नालों में कितना पानी बह रहा है, कितनी सिल्ट है, उनको और कितना बेहतर किया जा सकता है।
यमुना सफाई की पुरानी समितियां भंग, नए सिरे से होगा काम : रेखा गुप्ता ने कहा कि यमुना की वास्तविक सफाई तभी शुरू होगी, जब प्रदूषित नालों को पूरी तरह साफ कर लिया जाएगा।
उन्होंने पिछली व्यवस्थाओं पर सवाल उठाते हुए कहा, कि जब हमने शुरुआत की तो पाया यमुना सफाई को लेकर 20 से ज्यादा समितियां बनी हुई थीं, जिनमें कोई सामंजस्य नहीं था। उन्होंने बताया कि इसके लिए सभी समितियों को भंग करके एक नई संरचना बना रहे हैं, जो एक एकीकृत दृष्टिकोण के साथ काम करेगी।
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