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दिल्ली में कचरा बड़ी समस्या, रोज निकलने वाले कूड़े का निपटान है चुनौती

दिल्ली में रोजाना लगभग 11,500 मीट्रिक टन कूड़ा होता है। गाजीपुर लैंडफिल पर कूड़े के पहाड़ से जुड़े मामले पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं।

राजधानी में तीव्र शहरीकरण और बढ़ती जनसंख्या के बीच एमसीडी कूड़ा प्रबंधन की चुनौती का सामना कर रही है। दिल्ली में रोजाना लगभग 11,500 मीट्रिक टन कूड़ा होता है, जिसमें से लगभग 7300 मीट्रिक टन का ही निपटान हो पाता है। इस तरह लगभग 4200 मीट्रिक टन कूड़ा प्रतिदिन सीधे लैंडफिल साइटों पर पहुंच रहा है।

यह कूड़ा गाज़ीपुर और भलस्वा जैसे विशाल सैनेेटरी लैंडफिल साइटों पर जमा होता है, जो दशकों से क्षमता से अधिक भरे हुए हैं। इन लैंडफिल साइटों पर कूड़े के ऊंचे पहाड़ न केवल दिल्ली के शहरी परिदृश्य पर एक बदसूरत दाग हैं, बल्कि वायु और जल प्रदूषण, भूजल संदूषण और मीथेन जैसी ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन का एक प्रमुख स्रोत भी है।

एमसीडी विभिन्न संयंत्रों के माध्यम से कूड़े का निपटान करने का प्रयास कर रही है। वह कूड़े को रीसाइक्लिंग, खाद और ऊर्जा बनाने में उपयोग कर रही है। वहीं उसने कूड़े के बेहतर निपटान के लिए कई वेस्ट-टू-एनर्जी परियोजनाओ पर कार्य शुरू किया है। वह नरेला बवाना में प्रति 3000 मीट्रिक टन कूड़े को ऊर्जा में बदलने का संयंत्र बना रही है।

गाजीपुर में मौजूदा संयंत्र का विस्तार किया जा रहा है। इस पहल से यहां कूड़े के निपटान की क्षमता दो हजार मीट्रिक टन हो जाएगी। ओखला संयंत्र की क्षमता 1000 बढ़ाकर 2950 मीट्रिक टन की जा रही है। इसी तरह तेहखंड संयंत्र की क्षमता भी 1000 मीट्रिक टन बढ़ाई जा रही है। इसकी क्षमता 3000 मीट्रिक टन हो जाएगी।

एमसीडी डेयरी व रसोई अपशिष्ट से बायो-गैस और बायो-सीएनजी उत्पादन पर भी कार्य कर रही है। ओखला प्लांट की क्षमता 300 से बढ़ाकर 500 मीट्रिक टन तक करने की योजना पर कार्य हो रहा है। वहीं घोघा डेयरी में 100 मीट्रिक टन, गाजीपुर में 350 और नंगली, गोयला और घोघा डेयरियों में भी 200-200 मीट्रिक टन क्षमता वाले प्लांट लगाए जा रहे है।

गाजीपुर से कब हटेगा पुराना कचरा : एनजीटी
गाजीपुर लैंडफिल पर कूड़े के पहाड़ से जुड़े मामले पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं। एमसीडी की रिपोर्ट पर गौर करने के बाद एनजीटी चेयरमैन न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली पीठ ने एमसीडी को यह बताने को कहा कि गाजीपुर लैंडफिल से पुराना कचरा कब तक हटेगा।

एनजीटी ने रिकार्ड पर लिया कि लैंडफिल साइट पर हर दिन 2400 से 2600 मीट्रिक टन कचरा पहुंचता है जबकि गाजीपुर स्थित अपशिष्ट से ऊर्जा प्लांट में 700 से एक हजार मीट्रिक टन का ही प्रतिदिन निपटारा हो पाता है। ओखला स्थिति अपशिष्ट से ऊर्जा प्लांट पर जो कचरा जाता था वह भी अप्रैल 2025 के बद बंद हो चुका है।

एनजीटी ने कहा कि हर दिन आने वाला ठोस कचरा और इसके निपटारे में भारी अंतर है और इस अंतर को कम करने के लिए उठाए जाने वाले कदमों का विवरण बताए बिना ही एमसीडी ने पूर्ण निपटान के लिए लक्षित समय-सीमा 2028 बताई गई है। ऐसे में जरूरी है कि एमसीडी हलफनामा दाखिल करके बताए कि पुराना कचरा कब तक और कैसे हटाया जाएगा। यह भी बताया जाए कि इसके लिए अनुदान का इंतजाम कैसे होगा और इसके लिए जिम्मेदार एजेंसी कौन सी होगी।

पीठ ने कहा कि एमसीडी जैव-खनन के लिए उपलब्ध संसाधनों, उनके उपयोग, सहायक सामग्री और समेत अन्य जानकारी पेश करने का निर्देश दिया जाता है। एनजीटी ने यह भी पूछा कि लीचेट और वेस्ट के महीनेवार आंकड़े, ट्रकों की संख्या, और निपटान प्रक्रिया के साथ मीथेन गैस को सुरक्षित निकालने की व्यवस्था क्या है। मामले में आगे की सुनवाई 10 अक्तूबर को होगी।

स्वच्छता के संदेश को पहुंचाने के लिए गीत लॉन्च
एमसीडी ने स्वच्छता के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से स्वच्छता गीत लॉन्च किया है। इस गीत के भावपूर्ण बोल दिल्ली नगर निगम की है ये पुकार, साफ आंगन से प्यारा न कोई उपहार, है। दिल्लीवासियों से साफ-सफाई में भागीदारी की अपील की।

महापौर राजा इकबाल सिंह ने गीत को शुक्रवार को एक समारोह में जनता को समर्पित किया। यह गीत एमसीडी की परिकल्पना है और इसे पदमजीत सहरावत ने रचा है। महापौर ने कहा कि यह गीत सिर्फ एक धुन नहीं, बल्कि दिल्ली की सफाई को लेकर हमारे साझा संकल्प की अभिव्यक्ति है। इसे हम हर गली, मोहल्ले, स्कूल और बाजार में पहुंचाएंगे। उपमहापौर जय भगवान यादव ने बनारस के सफाई मॉडल का जिक्र करते हुए दिल्ली में दिन में तीन बार सफाई की व्यवस्था लाने की वकालत की।