मालेगांव बम धमाका केस में सभी सात आरोपियों को अदालत ने बरी कर दिया है। इस केस में बीते कुछ वर्षों में कई गवाह अपने पहले दिए बयानों से पलट गए। उन्होंने दावा किया कि पुलिस और ATS ने उन पर दबाव डालकर बयान दिलवाए थे।
अदालत ने सातों आरोपियों को बरी करने के फैसले के पीछे सबूतों में भारी विरोधाभास और गवाहों द्वारा बदली गई गवाही को कारण बताया है। बता दें, इस केस में कुल 39 गवाह अपने बयान से पलट गए थे।
गवाहों ने पुराने बयानों को बताया गलत
इन गवाहों ने पुलिस को एटीएस को पहले दिए बयानों में आरोपियों को दोषी ठहराया था, लेकिन अब अदालत में उन्होंने कहा कि उनके बयान दबाव में लिए गए थे और उन्होंने ऐसा कहा ही नहीं था।
2021 से अब तक जब ये गवाह NIA की विशेष अदालत में पेश हुए तब उन्होंने पुलिस को दिए अपने पुराने बयानों को गलत बताया। कई गवाहों ने यहां तक कहा कि एटीएस ने उनके बयान गढ़े थे।
न्यायाधीश ने अपने फैसले में क्या कहा?
इस मामले में सुनवाई कर रहे न्यायाधीश एके लाहोटी ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष की कहानी विरोधाभासों और कमजोर बयानों से भरी हुई थी। उन्होंने कहा, “गवाहों ने अपने पुराने बयान से मुकरते हुए कहा कि उन्होंने पहले जो भी कुछ कहा था वह सही नहीं था। न साजिश साबित हुई और न ही कोई गुप्त बैठक।”
लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित के खिलाफ पेश किए गए 71 गवाहों में से करीब 20 गवाहों ने कोर्ट में उनकी भूमिका से इनकार कर दिया। एक गवाह जो टू व्हीलर एजेंट था उसने पहले पुलिस को बताया था कि उसने एक खास नंबर की बाइक बेची थी तो बम धमाकों में इस्तेमाल हुई थी।
अब गवाहों ने क्या कहा?
लेकिन, बाद में कोर्ट में उसने कहा कि उसे नंबर याद नहीं। हालांकि, अभियोजन पक्ष का कहना है कि फॉरेंसिक जांच से पहले वाला बयान सही साबित होता है। एक अन्य गवाह ने भी कोर्ट में कहा कि उसे आरोपी अजय राहिरकर से जुड़े किसी लेन-देन की जानकारी नहीं है।
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