
रायपुर, 30 अगस्त। देश की प्रमुख नदियों में से एक महानदी, जो छत्तीसगढ़ से निकलकर ओडिशा होते हुए बंगाल की खाड़ी में मिलती है, लंबे समय से दोनों राज्यों के बीच जल विवाद का कारण बनी हुई है। इस जटिल और वर्षों पुराने मुद्दे को सुलझाने के लिए आज नई दिल्ली में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई।
बैठक में छत्तीसगढ़ और ओडिशा के मुख्य सचिवों के साथ दोनों राज्यों के जल संसाधन विभाग के सचिवों ने भाग लिया। दोनों पक्षों ने माना कि यह विवाद बेहद पुराना और संवेदनशील है, लेकिन राज्यवासियों के हित में इसका समाधान पारस्परिक संवाद और सहयोग से निकालना आवश्यक है।
साझा तकनीकी समितियाँ करेंगी काम
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि सितंबर 25 से दोनों राज्यों की तकनीकी समितियाँ—जिनमें जल विशेषज्ञ और वरिष्ठ इंजीनियर शामिल होंगे—हर सप्ताह बैठक करेंगी। इन बैठकों में वे मुख्य विवाद बिंदुओं की पहचान करेंगी और समाधान के ठोस सुझाव तैयार करेंगी। साथ ही, समितियाँ यह भी देखेंगी कि दो राज्यों के बीच समन्वय कैसे बेहतर किया जा सकता है।
अक्टूबर और दिसंबर में उच्च-स्तरीय बैठकें प्रस्तावित
अक्टूबर 25 में दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों के बीच एक और अहम बैठक प्रस्तावित है, जिसमें जल संसाधन सचिव भी शामिल होंगे। यदि बातचीत सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ती है, तो दिसंबर में छत्तीसगढ़ और ओडिशा के मुख्यमंत्री एक उच्च-स्तरीय बैठक कर सकते हैं, ताकि अंतिम समाधान की ओर ठोस कदम उठाए जा सके।
आपसी सहयोग की मिसाल बन सकता है यह प्रयास
दोनों राज्यों ने इस बात पर सहमति जताई कि वे ईमानदारी और खुले मन से वार्ता को आगे बढ़ाएंगे, जिससे एक ऐसा समाधान निकले जो सभी पक्षों के लिए स्वीकार्य और लाभकारी हो। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह पहल सफल होती है, तो यह पूरे देश के लिए एक उदाहरण बन सकती है कि बड़े और पुराने जल विवाद भी संवाद और सहयोग से हल किए जा सकते हैं।
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