
तियेनजिन/नई दिल्ली 31 अगस्त।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने आज चीन के तियेनजिन में शंघाई सहयोग संगठन(एससीओ)शिखर सम्मेलन से इतर द्विपक्षीय वार्ता की।
श्री मोदी ने बैठक के बाद सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा कि उन्होंने रूस के कज़ान शहर में अपनी पिछली बैठक के बाद से भारत-चीन संबंधों में आई सकारात्मक प्रगति की समीक्षा की। प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों नेताओं ने सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सौहार्द बनाए रखने के महत्व पर सहमति व्यक्त की और आपसी सम्मान, आपसी हित और आपसी संवेदनशीलता के आधार पर सहयोग के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत और चीन विकास में भागीदार हैं, प्रतिद्वंद्वी नहीं, और उनके मतभेद विवादों में नहीं बदलने चाहिए। बैठक के दौरान अपने संबोधन में, प्रधानमंत्री मोदी ने द्विपक्षीय संबंधों के निरंतर विकास के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सौहार्द बनाए रखने के महत्व पर प्रकाश डाला।
सीमा पर डिस्इंगेजमेंट के बाद शांति और स्थिरता का माहौल बना हुआ है। हमारे स्पेशल रिप्रेजेंटेटिव्स के बीच बॉर्डर मैनेजमेंट के संबंध में सहमति बनी है। कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू हुई है। दोनों देशों के बीच डायरेक्ट फ्लाइट भी फिर से शुरू की जा रही है। हमारे सहयोग से दोनों देशों के 2.8 बिलियन लोगों के हित जुड़े हुए हैं।
दोनों नेताओं ने आर्थिक और व्यापारिक संबंधों पर विश्व व्यापार को स्थिर करने में अपनी-अपनी अर्थव्यवस्थाओं की भूमिका को स्वीकार किया।प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और चीन दोनों ही रणनीतिक स्वायत्तता चाहते हैं और उनके संबंधों को किसी तीसरे देश के नज़रिए से नहीं देखा जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी ने म्यांमार के राज्य सुरक्षा और शांति आयोग के अध्यक्ष, वरिष्ठ जनरल मिन आंग ह्लाइंग से भी मुलाकात की। बैठक के दौरान, प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अपनी पड़ोसी प्रथम, एक्ट ईस्ट और हिंद-प्रशांत नीतियों के तहत म्यांमार के साथ अपने संबंधों को महत्व देता है।
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