रायपुर 06अप्रैल।छत्तीसगढ़ के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी सुब्रत साहू ने सोशल मीडिया में चुनौती वोट (अभ्याक्षेपित मत) तथा टेंडर वोट (निविदत्त मत) के संबंध में प्रसारित की जा रही सूचना को भ्रामक और तत्थहीन बताया है।
श्री साहू ने आज यहां जारी विज्ञप्ति में स्पष्ट किया है कि किसी भी मतदान केन्द्र में वोट डालने के लिये मतदाता सूची में नाम होना अनिवार्य है। मतदाता सूची में नाम नहीं होने के स्थिति में कोई भी दस्तावेज (यथा आधार कार्ड ,मतदाता परिचय पत्र या अन्य फोटो पहचान पत्र) प्रस्तुत करने पर भी मत देना संभव नहीं होगा।चुनौती वोट का इस परिस्थिति से कोई संबंध नहीं है।
उन्होंने बताया कि चुनौती वोट की स्थिति तब निर्मित होती है जब कोई व्यक्ति दूसरे मतदाता का मत डालने का प्रयास करता है और किसी प्रत्याशी के एजेंट द्वारा उसके मत डालने को चुनौती दी जाए।निर्वाचन का संचालन नियम 1961 के अनुसार पोलिंग एजेंट किसी मतदाता के संबंध में मतदाता विशेष होने का दावा करने वाले व्यक्ति की पहचान को चुनौती दे सकता है। पीठासीन अधिकारी चुनौती की जाँच पश्चात चुनौती सिद्ध नहीं होने पर व्यक्ति को मत डालने की अनुमति देंगे और ऐसे वोट को चुनौती वोट कहा जाता है। यदि चुनौती सिद्ध हो जाती है अर्थात मतदाता गलत पाया जाता है तो मत डालने से वंचित किया जाएगा तथा लिखित शिकायत के साथ पुलिस को सौंपा जाएगा।
इसी प्रकार टेंडर वोट को लेकर सोशल मीडिया में प्रसारित किया जा रहा है कि यदि किसी भी मतदान केन्द्र में 14 प्रतिशत से अधिक टेंडर वोट रिकार्ड करता है तो ऐसे पोलिंग बूथ में पुनर्मतदान किया जाएगा। श्री साहू ने इस सूचना को निराधार बताते हुए इसे गलत बताया है। उन्होंने कहा कि टेंडर वोट को लेकर किसी भी मतदान केन्द्र में पुनर्मतदान का कोई प्रावधान अस्तित्व में ही नहीं है। उन्होंने बताया कि यदि किसी मतदाता के नाम का प्रत्यारूपण कर किसी अन्य ने मतदान कर लिया हो तो वास्तविक मतदाता टेंडर वोट की मांग कर सकता है
उल्लेखनीय है कि सोशल मीडिया माध्यमों में बताया जा रहा है कि मतदान केन्द्र में पहुँचने पर मतदाता सूची में नाम नहीं होने की स्थिति में भी मतदाता अपना मतदान कर सकता है। इस भ्रामक सूचना में बताया जा रहा है कि ऐसी स्थिति में मतदाता पीठासीन अधिकारी से निर्वाचन संचालन अधिनियम 1961 की धारा 49 (ए) के तहत ‘चुनौती वोट’ के तहत अपना पहचान पत्र दिखाकर मतदान कर सकता है।