
नई दिल्ली 28 सितम्बर। गृहमंत्री अमित शाह ने माओवादियों के हालिया संघर्ष विराम प्रस्ताव को सख्ती से खारिज कर दिया। शाह ने स्पष्ट संदेश देते हुए कहा कि नक्सली यदि वास्तव में शांति चाहते हैं तो उन्हें हथियार छोड़कर आत्मसमर्पण करना होगा।
श्री शाह ने ‘नक्सल मुक्त भारत’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में आज यहां कहा कि “अगर आप आत्मसमर्पण करना चाहते हैं तो युद्धविराम की कोई जरूरत नहीं है। हथियार डाल दीजिए, सुरक्षा बल की ओर से एक भी गोली नहीं चलेगी।”उन्होने कहा कि जो नक्सली हथियार छोड़कर मुख्यधारा में आना चाहते हैं, उनके लिए सरकार की पुनर्वास नीति बेहद लाभकारी है। आत्मसमर्पण करने वालों का भव्य स्वागत किया जाएगा और उन्हें सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर मिलेगा।
ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट के बाद आया प्रस्ताव
हाल ही में माओवादी संगठन भाकपा (माओवादी) की ओर से एक पत्र जारी कर संघर्ष विराम की पेशकश की गई थी। यह पेशकश उस समय सामने आई, जब छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर चलाए गए “ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट” में कई शीर्ष नक्सली ढेर हुए। शाह ने कहा कि यह प्रस्ताव सिर्फ भ्रम फैलाने और समय हासिल करने की कोशिश है।
श्री शाह ने संगोष्ठी में वामपंथी दलों और बुद्धिजीवियों पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि नक्सलवाद विकास की कमी का परिणाम नहीं है, बल्कि लाल आतंक ने ही दशकों तक देश के कई हिस्सों को विकास से वंचित रखा।उन्होंने कहा कि नक्सली हिंसा को समाज के कुछ वर्गों ने वैचारिक, कानूनी और वित्तीय सहयोग देकर जिंदा रखा। जब तक इन सहयोगियों की पहचान और जवाबदेही तय नहीं होगी, तब तक नक्सलवाद को जड़ से खत्म करना संभव नहीं है।
2026 तक नक्सल मुक्त भारत का लक्ष्य
गृहमंत्री ने विश्वास जताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश जल्द ही नक्सलवाद की समस्या से पूरी तरह मुक्त होगा। उन्होंने घोषणा की कि भारत 31 मार्च 26 तक नक्सलवाद से पूरी तरह मुक्त हो जाएगा।
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