आईआईएसईआर के वैज्ञानिकों ने कैंसर के इलाज के लिए एक नया तरीका खोजा है। जी हां, उन्होंने एक ऐसा अनुकूल बैक्टीरिया बनाया है जो कैंसर के ट्यूमर को सीधे निशाना बनाकर उसे खत्म कर सकता है। यह खोज इसलिए खास है क्योंकि अभी तक कैंसर का इलाज काफी मुश्किल होता है, खासकर जब शरीर की अपनी रोग-प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) कैंसर से लड़ने में नाकाम हो जाती है।
कैंसर से लड़ने की नई राह
कैंसर का इलाज अक्सर बहुत मुश्किल होता है क्योंकि कैंसर कोशिकाएं हमारे इम्यून सिस्टम को धोखा देती हैं। वे ‘टी रेगुलेटरी सेल्स’ नाम की खास कोशिकाओं के पीछे छिप जाती हैं, जिससे हमारा शरीर उन्हें पहचान नहीं पाता और उन पर हमला नहीं कर पाता। इसी वजह से कीमोथेरेपी और इम्यूनोथेरेपी जैसे इलाज भी कभी-कभी पूरी तरह से कारगर नहीं हो पाते।
IISER कोलकाता की टीम ने इस चुनौती का एक अनूठा समाधान खोजा है। उन्होंने ऐसे अनुकूल बैक्टीरिया (प्रोबायोटिक्स) बनाए हैं जो ट्यूमर यानी कैंसर की गांठ का पता लगा सकते हैं और उसकी गतिविधि को रोक सकते हैं। ये बैक्टीरिया एक तरह से जीवित, लक्षित दवाएं हैं, जो सीधे कैंसर कोशिकाओं पर वार करती हैं और हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को फिर से सक्रिय कर देती हैं।
‘रीसेट’ प्रोजेक्ट से मिली बड़ी उम्मीद
इस खास प्रोजेक्ट का नाम ‘रीसेट’ (RESET) है, जिसका मतलब है ‘प्रोग्रेमिंग द सपरेसिव एन्वायरमेंट आफ ट्यूमर माइक्रोएन्वायरमेंट’। यह प्रोजेक्ट कैंसर के इलाज में एक बड़ा बदलाव ला सकता है। फिलहाल, टीम एक ऐसी प्रणाली पर भी काम कर रही है जो यह बताएगी कि इलाज कितनी अच्छी तरह काम कर रहा है।
IISER के 11 छात्रों की एक युवा टीम इस साल अक्टूबर में होने वाली दुनिया की सबसे बड़ी सिंथेटिक जीव विज्ञान प्रतियोगिता ‘इंटरनेशनल जेनेटिकली इंजीनियर्ड मशीन’ (iGEM) में अपने इस शानदार काम को प्रस्तुत करने के लिए तैयार है। यह सिर्फ उनके संस्थान के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व की बात है। यह नया प्रयोग कैंसर के इलाज में एक नई सुबह की तरह है, जो हमें इस बीमारी से लड़ने में और अधिक ताकत देता है।
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