
रायपुर, 13 अक्टूबर।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने वन उपजों के अधिकतम वैल्यू एडिशन पर जोर देते हुए कहा कि राज्य में वन धन केंद्रों की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता है, जिससे ग्रामीणों को बेहतर आमदनी और आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रगति मिल सके।
मुख्यमंत्री साय की अध्यक्षता में मंत्रालय (महानदी भवन) में आयोजित कलेक्टर-डीएफओ संयुक्त कॉन्फ्रेंस में प्रदेश के वन प्रबंधन और वनोपज आधारित आजीविका के विभिन्न पहलुओं पर व्यापक चर्चा हुई। मुख्यमंत्री ने कहा कि तेंदूपत्ता संग्राहकों की संख्या 12 लाख से अधिक हो चुकी है, जो राज्य के साझा प्रयासों की सफलता का प्रमाण है।
वन उपजों का वैल्यू एडिशन प्राथमिकता में
मुख्यमंत्री ने वन उपजों के अधिकतम वैल्यू एडिशन पर जोर देते हुए कहा कि राज्य में वन धन केंद्रों की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता है, जिससे ग्रामीणों को बेहतर आमदनी और आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रगति मिल सके।
46% हुआ वन आवरण, अभिनव पहलों का योगदान
उन्होंने बताया कि प्रदेश का वन आवरण अब 46 प्रतिशत तक पहुंच गया है, जो लगभग 2% की बढ़ोत्तरी है। इस सफलता का श्रेय कैम्पा योजना और “एक पेड़ मां के नाम” जैसी नवाचारी योजनाओं को जाता है।
तेंदूपत्ता संग्राहकों को 7 से 15 दिनों में भुगतान सुनिश्चित
कॉन्फ्रेंस में निर्देश दिए गए कि तेंदूपत्ता संग्राहकों को 7 से 15 दिनों के भीतर भुगतान सुनिश्चित किया जाए और इसकी जानकारी एसएमएस के माध्यम से सीधे मोबाइल पर भेजी जाए। साथ ही बताया गया कि लगभग 15.60 लाख संग्राहकों की जानकारी ऑनलाइन दर्ज की जा चुकी है और सभी भुगतान बैंक खातों के माध्यम से किए जा रहे हैं।
लघु वनोपज आधारित स्टार्टअप और वन धन केंद्रों को प्रोत्साहन
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि लघु वनोपज आधारित स्टार्टअप्स और वन धन केंद्रों को सशक्त बनाकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी जा सकती है। उन्होंने छत्तीसगढ़ हर्बल और संजीवनी ब्रांड के उत्पादों के प्रचार-प्रसार और बिक्री को ग्रामीण व शहरी दोनों बाजारों में बढ़ाने के निर्देश दिए।
75 प्रकार की लघु वनोपजों की होगी खरीदी
वन मंत्री श्री केदार कश्यप ने बताया कि राज्य सरकार अब 75 प्रकार की लघु वनोपजों की खरीदी करने जा रही है, जिससे वनांचल क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ आधार मिलेगा। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ लाख उत्पादन में देश में दूसरे स्थान पर है और उपयुक्त रणनीति से यह पहले स्थान पर आ सकता है।
औषधीय पौधों की खेती को मिलेगा बढ़ावा
बैठक में औषधीय पौधों की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष योजना तैयार करने के निर्देश दिए गए। धमतरी, मुंगेली और गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिलों के डीएफओ को इस विषय पर विस्तृत जानकारी दी गई। अधिकारियों ने बताया कि यह खेती न केवल आजीविका बढ़ाएगी बल्कि पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को भी संरक्षित करेगी।
ईको-टूरिज्म को भी मिलेगा विस्तार
बस्तर और सरगुजा संभागों में ईको-टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए रणनीति बनाने पर सहमति बनी। वन मंत्री ने कहा कि यह पहल वनवासियों की आय का नया स्रोत बन सकती है।
बैठक में सभी संभागायुक्त, कलेक्टर एवं वन मंडलाधिकारी उपस्थित रहे। यह पहली बार था जब वन अधिकारियों और कलेक्टरों की संयुक्त बैठक आयोजित की गई, जिसकी सभी ने सराहना की।