बांग्लादेश में शुक्रवार सुबह आए 5.7 तीव्रता के भूकंप ने कम से कम 10 लोगों की जान ले ली और राजधानी ढाका समेत कई जिलों में कई इमारतों को नुकसान पहुंचाया। वहीं विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यह झटका किसी बड़े विनाशकारी भूकंप की आहट हो सकता है और अगर सरकार ने तुरंत सख्त कदम नहीं उठाए, तो नुकसान कहीं ज्यादा हो सकता है। शनिवार को भी देश तीन हल्के झटकों से कांपता रहा, जिससे लोगों में डर और बढ़ गया।
ढाका की नाजुक हालत उजागर
स्थानीय समाचार पत्र में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, शुक्रवार का भूकंप ‘ढाका की नाजुकता’ को साफ दिखाता है। ढाका जिला प्रशासन ने 14 इमारतों में नुकसान की पुष्टि की है। वहीं राजुक ने 50 से अधिक इमारतों में नुकसान की बात कही है, और मान रही है कि जांच आगे बढ़ने पर यह संख्या और बढ़ेगी। राजुक के चेयरमैन एम. रियाजुल इस्लाम ने कहा, ‘हमारी जांच जारी है। कई और इमारतें जोखिम भरी मिलेंगी।’ राजुक पर वर्षों से निर्माण निगरानी में लापरवाही और कम स्टाफ होने के आरोप लगते रहे हैं।
विशेषज्ञों की कड़ी चेतावनी
बांग्लादेश भूकंप सोसायटी के उपाध्यक्ष प्रो. मुनाज अहमद नूर ने कहा कि राजुक ‘हमेशा किसी बड़े हादसे के बाद ही जागता है।’ उन्होंने जोर देकर कहा कि बांग्लादेश नेशनल बिल्डिंग कोड का कड़ाई से पालन अनिवार्य है। नूर के अनुसार, समस्या अक्सर डिजाइन में नहीं बल्कि उसके लागू होने में होती है, जैसे लोहे की मजबूती को गलत जगह लगाना। वहीं बांग्लादेश इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के प्रो. मेहदी अहमद अंसारी ने चेतावनी दी कि जिन इमारतों में दरारें या नुकसान दिख रहा है, उनका तुरंत मूल्यांकन होना चाहिए। जोखिम के आधार पर उन्हें श्रेणीबद्ध कर कार्रवाई होनी चाहिए। ‘यह हाल के झटके किसी बड़े भूकंप के पूर्व संकेत यानी पूर्वाभास भी हो सकते हैं।’ उनका कहना है कि ‘अगर अभी कदम नहीं उठाए गए, तो किसी बड़ी घटना में भारी जनहानि हो सकती है।’
भारत-बर्मा सबडक्शन क्षेत्र – एक दबा हुआ खतरा
वरिष्ठ भूकंप वैज्ञानिक सईद हुमायूं अख्तर ने कहा कि भारत-बर्मा सबडक्शन क्षेत्र में बहुत ऊर्जा जमा हो रही है, जो किसी भी समय बहुत बड़े भूकंप का रूप ले सकती है। ढाका दुनिया के 20 सबसे भूकंप-जोखिम वाले शहरों में शामिल है। घनी आबादी, पुरानी और जर्जर इमारतें, और अवैध निर्माण इसे और ज्यादा असुरक्षित बनाते हैं। इतिहास की बात करें तो – 1869 से 1930 के बीच इस क्षेत्र में 7.0 से ज्यादा तीव्रता के पांच बड़े भूकंप आए थे।
अधर में एक्शन प्लान, सरकारी इमारतें भी जोखिम पर
2022 में राजुक ने 42 इमारतों को तुरंत ढहाने योग्य, 187 को रेट्रोफिटिंग यानी मजबूती की जरूरत वाली घोषित किया था। लेकिन रिपोर्ट के अनुसार, ज्यादातर आदेश अब तक लागू ही नहीं हुए। इन जोखिमभरी इमारतों में कई सरकारी इमारतें भी शामिल हैं, इसमें शिक्षा इंजीनियरिंग विभाग, स्वास्थ्य शिक्षा विभाग, एलजीईडी, जगन्नाथ विश्वविद्यालय, ढाका विश्वविद्यालय, मदरसा शिक्षा बोर्ड, लेदर टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट, मेडिकल यूनिवर्सिटी अस्पताल शामिल हैं। राजुक प्रमुख रियाजुल इस्लाम का कहना है कि कई इमारतें सरकारी हैं, इसलिए नई व्यापक जांच की जरूरत है।
रियाजुल इस्लाम के अनुसार, ‘यह भूकंप एक बड़ी चेतावनी है। विज्ञान कहता है कि आगे और मजबूत झटका आ सकता है।’ विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि राजुक सार्वजनिक नोटिस जारी करे ताकि लोग अपनी इमारतों का स्ट्रक्चरल आकलन करा सकें। बाहरी नुकसान न दिखने पर भी आंतरिक तनाव हो सकता है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सरकार को तुरंत टीम बढ़ाकर पूरे शहर का जोखिम-नक्शा अपडेट करना चाहिए।
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