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नहीं रहे सुप्रसिद्ध साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल

 रायपुर 23दिसम्बर।छत्तीसगढ़ के राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वरिष्ठ कवि और लेखक विनोद कुमार शुक्ल का आज 23 दिसम्बर की शाम राजधानी रायपुर के एम्स में निधन हो गया।

    श्री शुक्ल काफी दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे और उनका उपचार एम्स में हो रहा था।उपचार के दौरान उऩ्होने अन्तिम सांस ली।

     श्री शुक्ल का जन्म एक जनवरी 1937 को राजनांदगांव में हुआ था. वह विगत कई दशकों से रायपुर में ही रहकर साहित्य सृजन में लगे हुए थे। पिछले माह नवम्बर में उन्हें देश के प्रतिष्ठित ज्ञान पीठ पुरस्कार से रायपुर में सम्मानित किया गया था।

   उन्हें वर्ष 1976 -77 में मध्यप्रदेश सरकार ने गजानन माधव मुक्तिबोध फैलोशिप से सम्मानित किया था । इस फैलोशिप के तहत उन्होंने ‘नौकर की कमीज ‘ उपन्यास की रचना की थी. समाज के निम्न -मध्यम वर्गीय जीवन और छत्तीसगढ़ के कस्बाई शहरों के जन -जीवन को ‘नौकर की कमीज’ में महसूस किया जा सकता है। विनोद कुमार शुक्ल का यह उपन्यास वर्ष 1979 में प्रकाशित हुआ था। इस पर सुप्रसिद्ध निर्देशक मणि कौल के निर्देशन में वर्ष 1999 में इसी शीर्षक से एक फीचर फ़िल्म भी बन चुकी है,जो यूट्यूब पर भी उपलब्ध है। इस उपन्यास का अनुवाद विभिन्न भारतीय भाषाओं सहित  फ्रेंच और अंग्रेजी में भी प्रकाशित हो चुका है।

    विनोद कुमार शुक्ल के अन्य बहुचर्चित और बहुप्रशंसित उपन्यासों में  खिलेगा तो देखेंगे (वर्ष 1996), दीवार में एक खिड़की रहती थी (वर्ष 1997), हरी घास की छप्पर वाली झोपड़ी और बौना पहाड़ (वर्ष 2011)और एक चुप्पी जगह (वर्ष 2018)भी शामिल है।उन्हें  साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए समय -समय पर राष्ट्रीय स्तर के अनेक पुरस्कारों से नवाज़ा गया है। इनमें  मध्यप्रदेश सरकार की ओर से शिखर सम्मान और राष्ट्रीय मैथिलीशरण गुप्त सम्मान , मध्यप्रदेश कला परिषद का रजा पुरस्कार  , भारत सरकार की ओर से साहित्य अकादमी पुरस्कार और उत्तरप्रदेश सरकार के हिन्दी संस्थान की ओर से प्रदत्त हिन्दी गौरव सम्मान विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।

  साहित्य अकादमी पुरस्कार उन्हें वर्ष 1999 में अपने उपन्यास ‘ दीवार में एक खिड़की रहती थी ‘ के लिए प्राप्त हुआ था।