बेंगलूरू 02 सितम्बर।चन्द्रयान-2 ने आज दोपहर एक बहुत महत्वपूर्ण चरण पूरा कर लिया। लैण्डर विक्रम अपने ऑर्बिटर से सफलतापूर्वक अलग हो गया है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन(इसरो) के वैज्ञानिकों ने दिन में एक बजकर 15 मिनट पर ऑर्बिटर से लैण्डर को अलग करने का काम तेजी से पूरा किया।इसरो के मिशन कन्ट्रोल केन्द्र में वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने रिमोट से कुछ मिली-सेकेण्ड में यह कार्य सम्पन्न किया।
इस चरण के बाद अब वैज्ञानिकों का पूरा ध्यान लैण्डर मॉड्यूल को चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारने पर रहेगा।इस मॉड्यूल में लैण्डर विक्रम और रोवर प्रज्ञान शामिल हैं, जो इस समय आपस में जुड़े हुए हैं।
ऑर्बिटर से लैंडर मॉड्यूल को अलग करने की महत्वपूर्ण प्रक्रिया बहुत ही सहज और बिना किसी बाधा के संपन्न हुई। इसरो के वैज्ञानिकों के अनुसार यह प्रक्रिया, प्रक्षेपण अभियानों के दौरान रॉकेटों से उपग्रहों के अलग होने के लगभग समान है।यह पहली बार है जब पूर्णरूप से देश में निर्मित लैंडर ने चंद्रमा के वायुमंडल में प्रवेश किया है और यह स्वतंत्र रूप से इसकी परिक्रमा कर रहा है। ऑर्बिटर पहले से ही चंद्रमा की कक्षा में स्थापित हो गया है।
ऑर्बिटर तय योजना के अनुसार एक वर्ष तक कक्षा में रहेगा और चंद्र क्षेत्र का मानचित्रण करेगा तथा इसके बहिर्मंडल और आयनमंडल का निरीक्षण करेगा।इस अभियान के पूरा होने के बाद भारत उन देशों के समूह में शामिल हो जायेगा, जिन्होंने चन्द्रमा की सतह पर कदम रखा है।