बिलासपुर 26 नवम्बर।छत्तीसगढ़ की राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने कहा कि उच्च शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए समय-समय पर मंथन करना बेहद जरूरी है।विश्वविद्यालयों को भी चाहिए कि वे तक्षशिला और नालंदा जैसी गरिमा हासिल करें।
सुश्री उइके ने आज यहां भारतीय विश्वविद्यालय संघ द्वारा उच्च शिक्षा में गुणवत्ता लाने के उद्देश्य से सेन्ट्रल जोन के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि उच्च शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए समय-समय पर मंथन करना बेहद जरूरी है।उन्होने कहा कि हमारे देश में उच्च शिक्षा का विकास हो रहा है और पहले की अपेक्षा विश्वविद्यालयों की संख्या भी बढ़ रही हैं।
उन्होंने उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात को बढ़ाकर 50 प्रतिशत तक ले जाने की आवश्यकता व्यक्त की।इसके साथ ही अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के सकल नामांकन अनुपात बढ़ाने के लिए हरसंभव प्रयास किया जाना चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि नये भारत का निर्माण हो रहा है। इसलिए यह आवश्यक है कि ऐसी नई पीढ़ी तैयार करें जो देश की प्रगति में अपना योगदान दे सके। हम भविष्य की नई उच्च शिक्षा नीति बनाने की तैयारी कर रहे हैं और यह तभी संभव होगा जब हमारे विश्वविद्यालयों के शैक्षणिक और प्रशासनिक प्रणाली में महत्वपूर्ण परिवर्तन हो।
राज्यपाल ने कहा कि प्राध्यापकों की कमी को दूर करने के लिए सभी विश्वविद्यालयों में यूनिफार्म सिस्टम बनाए जाने की आवश्यकता है, जिससे शीघ्र नियुक्तियां हो सके। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के सभी पाठ्यक्रमों में छात्रों की संख्या के आधार पर रिक्तियों की समीक्षा करने एक राष्ट्रीय मानदंड निर्धारित किया जाना चाहिए।उन्होंने कहा कि शोध में ऐसे विषय शामिल किए जाएं, जो सामयिक हों एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्व के हों तथा शोधों की आउटपुट की समीक्षा भी की जानी चाहिए।