रायपुर 22 दिसम्बर।छत्तीसगढ़ के राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने कहा कि शादी-विवाह में आ गई सामाजिक कुरीतियों को दूर करने का संकल्प लें तथा नई पीढ़ी के लोग भी इसमें सहयोग करें।
सुश्री उइके ने आज यहां छत्तीसगढ़ प्रांतीय अखंड ब्राम्हण समाज द्वारा आयोजित युवक-युवती, कात्यायनी, परित्यक्ता परिचय सम्मेलन में शामिल हुई।उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि शादी-विवाह में आ गई सामाजिक कुरीतियों को दूर करने का संकल्प लें तथा नई पीढ़ी के लोग भी इसमें सहयोग करें। राज्यपाल ने इस तरह के परिचय सम्मेलन की सराहना करते हुए कहा कि इससे विवाह योग्य युवक-युवतियों को वर-वधु चुनने का अवसर उपलब्ध होता है।
राज्यपाल ने कहा कि हर माता-पिता की यह इच्छा होती है कि वह अपनी संतानों को अच्छा पढ़ा-लिखाकर अपने जीवनकाल में समय पर उनकी शादी कर दे। जैसे-जैसे बेटी बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे उनकी माता-पिता की चिंताएं भी बढ़ने लगती हैं। बेटी की शादी करने के बाद उनके माता-पिता कुछ हद तक अपने आप को पितृऋण से उरिण महसूस करते हैं।किन्तु आज के जमाने में अपनी संतानों खासकर बेटियों का शादी करना उतना आसान नहीं है।
सुश्री उइके ने कहा कि भारतीय समाज में विवाह एक महत्वपूर्ण संस्कार है। यदि हम अपने प्राचीन समय में जाएं तो यह दो परिवारों का मिलन माना जाता रहा है। दूसरे रूप में देखें तो नए परिवार का जन्म और नई पीढ़ी को जिम्मेदारी देना भी होता है। पहले यह सामान्य स्वरूप में था, लेकिन समय के बदलाव के साथ इनमें कुछ दूसरी सामाजिक कुरीतियां भी जुड़ती गई। इनमें दहेज प्रथा सबसे विकराल रूप में सामने आई है। कई बार समाचार पत्रों में दहेज के कारण प्रताड़ना तथा अन्य दुखद घटनाओं की खबर पढ़ने को मिलती है।